नारी न्याय और नारी गरिमा के लिए एतिहासिक दिन, तीन तलाक से जुडे विधेयक को संसद की मंजूरी, लोकसभा के बाद राज्यसभा ने दी हरी झंडी, 84 के मुकाबले 99 मतों से पास हुआ बिल, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बन जाएगा कानून, एक बार में तीन तलाक होगा अवैध.
मुसलिम महिलाओं को न्याय दिलाने और मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत पर रोक लगाने के मकसद से लाया गया ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’ संसद से पारित हो गया है। मंगलवार को राज्यसभा ने इसे मंजूरी दी जबकि लोकसभा पहले ही इसे पारित कर चुकी है। दिन भर चली चर्चा के बाद शाम को राज्यसभा में इस पर मतदान हुआ जिसके बाद इसे पारित कर दिया गया। उच्च सदन में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि 84 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया।
तीन तलाक के ऐतिहासिक कानून पास होने को पीएम मोदी ने ऐतिहासिक बताते हुए कहा संसद ने दूर की ऐतिहासिक गलती, मध्यकालीन क्रूर परंपरा को इतिहास के कूड़े दान में डाला गया. लैंगिक न्याय की हुई जीत. बीएसपी, पीडीपी, टीआरएस, जेडीयू, एआईएडीएमके और टीडीपी जैसे कई दलों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के चलते सरकार को यह बिल पास कराने में आसानी हुई। बिल की मंजूरी से विपक्ष की कमजोर रणनीति भी उजागर हुई। इस विधेयक का तीखा विरोध करने वाली कांग्रेस कई अहम दलों को अपने साथ बनाए रखने में असफल रही। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक तीन तलाक को लेकर 21 फरवरी को जारी किए गए मौजूदा अध्यादेश की जगह ले लेगा।
इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 ‘ को चर्चा एवं पारित कराने के लिए राज्यसभा में रखा । ‘कानून मंत्री ने इसे महिलाओं के न्याय एवं सम्मान का विषय करार देते हुए कहा कि विधेयक सियासत, धर्म, सम्प्रदाय का प्रश्न नहीं है बल्कि यह ‘नारी के सम्मान और नारी-न्याय’ का सवाल है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को राजनीतिक चश्मे या वोट बैंक की राजनीति के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिये। यह मानवता और इंसानियत का सवाल है।
तमाम दलों के नेताओं ने सदन में हुई चर्चा में भाग लिया और बिल पर अपनी बात रखी। ज्यादातर दलों ने विधेयक का समर्थन किया हालांकि कांग्रेस समेत कुछ दलों ने कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जतायी। इस बार सरकार ने विधेयक में कई बदलाव किए हैं । इस बार मजिस्ट्रेट से जमानत मिलने का प्रावधान किया गया है। तीन तलाक मामले में दर्ज प्राथमिकी तभी संज्ञेय होगी जब उसे पत्नी या उसका कोई रिश्तेदार दर्ज करायेगा। पति-पत्नी से बातचीत कर मजिस्ट्रेट मामले में समझौता करा सकता है.
चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री ने कहा कि ये सरकार मुस्लिम महिलाओं को रोता हुआ नहीं छोड़ सकती और उन्हें इंसाफ दिलाकर रहेगी। उन्होंने सरकार पर लग रहे तमाम आरोपों को भी खारिज कर दिया। इसके बाद सदन में बिल को सलेक्ट कमेटी को भेजने के लिए मतदान हुआ जो 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज हो गया । इसके बाद सदन में बिल पर मतदान हुआ और सदन ने इसे मंजूरी दे दी ।
संसद से इस बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून बन जाएगा और मुस्लिम समाज में लंबे समय से जारी तीन तलाक की कुप्रथा से समाज की महिलाओं को मुक्ति मिल जाएगी। ये दिन इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि 20 से ज्यादा इस्लामी देशों ने अपने यहां इस प्रथा पर रोक लगा दी है और अब भारत में भी ये प्रतिबंधित हो जाएगा।
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