कब राम मंदिर बनेगा ??
जस्टिस यूयू ललित पांच जजों के बेंच से अलग हो जाने के बाद केस की सुनवाई को 29 जनवरी तक के लिए टाल दिया गया है । सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर अयोध्या मामले की सुनवाई एक बार फिर से टलने पर संत समाज काफी नाराज है राम मंदिर के फैसले में देर होने से संत समाज और के साथ समाज के सभी लोगो की नाराज़गी बढ़ती जा रही हैं ।
राम मंदिर न्यास के संत राम विलास वेदांती ने भी फैसले के विलम्ब होने से बहुत चिंतित हैं वहीं बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी ने कहा कि वह केस का जल्द फैसला चाहते हैं लेकिन कोर्ट की प्रक्रिया में दखलंदाजी नहीं करना चाहते। अयोध्या के संतों ने कोर्ट की सुनवाई की तारीख बदलने से स्वयम 31 जनवरी और 2 फरवरी को फैसला करने की बात कह रहे हैं |
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी १ जनवरी २०१९ को दिए अपने इन्टरव्यू में राम मंदिर प्रश्न में बहुत साफ़ शब्दों में कहा की अदालत का फैसला आने के बाद ही आवश्यक अध्यादेश को जारी किया जायेगा इसलिए ये बात सीधी तरह लोकसभा के चुनाव में राम के नाम पर वोट मांगने के वजाय भारतीय जनता पार्टी को अन्य मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ना होगा |
१४ जनवरी से उत्तर प्रदेश प्रयागराज में कुम्भ में संत समाज के होने वाले धर्म संसद में होने वाली आलोचना व् उसका निर्देश से पुरे संघ परिवार को विषम परिस्थिति में डाल दिया हैं |
जज यु यु ललित के हटें के पीछे का मुख्य कारण ये हैं की जैसे ही कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई वहीं बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी के पैरोकार वकील राजीव धवन ने जस्टिस यूयू ललित के बेंच में रहने पर प्रश्न किया किया जो जज यु यु ललित एक समय में अयोध्या से जुड़े मामले में वकील के तौर पर पेश हो चुके हैं। उनसे कैसे उम्मीद की जा सकती हैं की सही न्याय मिल पायेगा जैसे ही राजीव धवन ऐसा कहा जस्टिस ललित ने खुद केस की सुनवाई से हटने की इच्छा जताई। इना कहते ही सारा खेल ही बदल गया सभी की निगाह्ये बेंच की तरफ इसके बाद सी.जे.आई. ने बताया कि जस्टिस ललित अब इस बेंच में नहीं रहेंगे, इसलिए नई बेंच के गठित होने तक सुनवाई को स्थगित करना पड़ेगा अयोध्या में राम जन्म भूमि –बाबरी मस्जिद विवाद से सम्बन्धित २.७७ एकड़ भूमि के मामले में प्रयागराज [ इलाहाबाद ] उच्च न्यायलय के ३० सितम्बर २०१० के २:१ के बहुमत के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में १४ अपील दायर की गयी हैं उच्च न्यायलय ने इस फैसले में विवादित भूमि सुन्नी वफ्फ़ बोर्ड / निर्मोही अखाडा / और राम लला विराजमान के बिच बराबर –बराबर बाटने का आदेश दिया था / इस फैसले के खिलाफ अपील दायर होने पर शीर्ष अदालत ने मई २०११ में उच्च नयायालय क निर्णय पर रोक लगाने के साथ विवादित स्थल पर यथास्तिथि बनाये रखने का आदेश दिया था
लेखक : साहिल बी श्रीवास्तव( फिल्म लेखक –निर्देशक की कलम )
