जींद उपचुनाव पर दांव लगाकर लोकसभा चुनाव साधने की कोशिश में सियासी दल!
हरियाणा में जींद विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव अब चुनाव नहीं रहा अभी यह अखाड़ा में तब्दील हो गया है। जींद विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक पार्टियों के लिए यह उपचुनाव सम्मान की लड़ाई में तब्दील हो चुका है। हर राजनीतिक पार्टी से जुड़े उम्मीदवार अपनी जीत का डंका बजा रहा है।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खट्टर ने खुद चुनाव क्षेत्र में कई रैलियां की हैं। लगभग 1.70 लाख की आबादी के साथ इस सीट पर लगभग 1.07 लाख शहरी मतदाता हैं, जिनमें से 45,000 से अधिक मतदाता जाट समुदाय के हैं।
सुरजेवाला जाट समाज के बड़े नेता है। कांग्रेस ने जाट वोटों को साधने के लिए इस विधानसभा सीट से सुरजेवाला को आगे किया है। दोनों पहली बार चुनावी समर में उतर रहे हैं। दोनों में कॉमन बात यह है कि दोनों ही जाट समुदाय से आते हैं। जींद में ओबीसी मतदाताओं की संख्या लगभग 45,000 हजार है, जबकि अनुसूचित जातियों के मतदाता 38,000 हजार की संख्या में हैं। वैश्य समुदाय जिसके पास लगभग 11,000 वोट हैं निर्णायक फैसला तय कर सकते हैं।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने जेजेपी को अपना समर्थन दिया है। आप सांसद सुशील गुप्ता भी वैश्य समाज से ही आते हैं। और जेजेपी को समर्थन देने का ऐलान भी इन्होंने ही किया था। जींद उपचुनाव के लिए मतदान 28 जनवरी को होगा, जबकि मतगणना 31 जनवरी को होगी।
आगामी लोकसभा चुनावों में इस उपचुनाव की धमक साफ सुनने को मिलेगी। यह जीत लोकसभा चुनावों के मद्देनजर निर्णायक साबित होने वाला है। जींद में सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियां बीजेपी, कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दल जीतने के लिए दमखम लगा रही हैं।
ज्ञातव्य है कि इंडियन नेश्नल लोकदल (आईएनएलडी) विधायक हरि चंद मिड्ढा के निधन के कारण सीट खाली हो गई थी। अब इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। मीड्ढा के पुत्र कृष्ण मीड्ढा बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। राज्य में बीजेपी का शासन है। मीड्ढा की बीजेपी उम्मीदवारी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इस लिए बीजेपी भी जोर शोर से मैदान में उतरने के लिए तैयार है।
पेशे से एक आयुर्वेदिक डॉक्टर कृष्ण मीड्ढा पंजाबी ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, हालांकि जींद विधानसभा में जाटों का दबदबा है दिलचस्प बात यह है कि 1972 से ही किसी जाट नेता ने जींद की सीट नहीं जीती है।
इस चुनाव में 21 उम्मीदवार उतरे हैं। इन राजनीतिक पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, आईएनएलडी और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी के कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद राजकुमार सैनी ने भी अपनी पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से एक पंजाबी ब्राह्मण उम्मीदवार को विधानसभा चुनाव में उतारा है।
राजनीतिक पंडितों ने इस सीट को सत्तारूढ़ भाजपा को लगभग सुपुर्द कर दिया था, लेकिन कांग्रेस द्वारा रणदीप सिंह सुरजेवाला की उम्मीदवारी की घोषणा ने रातोंरात समीकरण बदल दिए। अब उपचुनाव एक बड़ी प्रतिष्ठा की लड़ाई में बदल गया है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुरजेवाला के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई है।
उन्हें कांग्रेस की ओर से सीएम पद का उम्मीदवार भी माना जा रहा है। कांग्रेस के नेताओं ने जिन्हें पार्टी के सीएम उम्मीदवारों के तौर पर देखा जा रहा था अब तक एकजुट चेहरा सामने रखा है, उनके लिए एक जीत सुरजेवाला की हार में भी देखा जा सकता है।
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