प्रयागराज में त्रिवेनी संगम कुंभ ने केवल भारतीय बल्कि विदेशियों को आकर्षित कर रहा है। 15 जनवरी को कुंभ के पहले शाही स्नान यानी मकर संक्रांति को संगम तट पर जहां अखाड़ों के साधु स्नान कर रहे थे, उसी समय वहां से कुछ ही मीटर की दूरी पर स्नान कर रहे सफेद वस्त्र धारी कई विदेशी श्रद्धालु भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे।
उन्हीं में अमरीका से आए एक ऋद्वालु भी थे। अमरीकी नागरिक स्नान करते और नदी से बाहर निकलने के बाद उनके साथी संग ‘गंगा मैया की जय और ‘हर-हर गंगे का नारा लगा रहे थे। उनके इस अंदाज को देखकर वहां दूसरे दूसरे देशों से आए विदेशी ऋद्वालु भी उनके साथ जुट गए और वे भी गंगा मैय्या की जय और हर हर गंगे के नारे लगाने लगे।
उनके साथ कऱीब दो दर्जन लोग थे जिनमें कई महिलाएं भी थीं। अखाड़ों के साथ ये लोग भी नाचते-गाते और वाद्य यंत्रों के साथ स्नान करने आए थे।
शांति की खोज में पहुंचे कुंभ
रैंबो कम्युनिटी की ही एक अन्य सदस्य और जर्मनी के म्यूनिख शहर की रहने वाली एनी संन्यासियों के वेश में रहती हैं। वो कहती हैं, “मैं कऱीब तीन साल से भारत में आती-जाती रहती हूं और अपने गुरु के आश्रम में ही रहती हूं। शांति की खोज में यहां तक आ गई और लगता है कि इसी सनातन धर्म में ये सब मिल सकता है, कहीं और नहीं।
महामंडलेश्वर की भी मिली उपाधि
आनंद अखाड़े से जुड़े डेनियल मूल रूप से फ्रांस के रहने वाले हैं लेकिन अब वो भगवान गिरि बन गए हैं। भगवान गिरि अखाड़े के महंत देवगिरि के शिष्य हैं और पिछले तीस साल से वो भारत में रहते हुए न सिर्फ भारतीय परिधान पहनते हैं बल्कि पूरी तरह से भारतीय संस्कृति में ही रचे-बसे हैं। विदेशी संन्यासी न सिर्फ अखाड़ों में रहकर संतों का जीवन बिता रहे हैं बल्कि कई ऐसे भी हैं जिन्हें महामंडलेश्वर जैसी उपाधियां भी मिली हैं।
यह देखने आए करोड़ों लोग सिर्फ़ नहाने क्यों आते हैं
टूटी-फूटी हिन्दी में बताने लगीं, “मेरे गुरुजी ने मेरा नाम गंगापुरी रखा है और अब मैं इसी नाम से जानी जाती हूं। मैं रूस की रहने वाली हूं और पिछले 5 साल से भारत में ही रह रही हूं। मैं प्रयाग के अलावा हरिद्वार, नासिक और उजैन के कुंभ में भी कई बार जा चुकी हैं। वैसे तो मैं यहां पढ़ाई करने आई थी लेकिन हरिद्वार में मेरी मुलाक़ात कुछ साधु-संतों से हुई और फिर दो-तीन साल के बाद मैंने संन्यास ले लिया। संन्यास लेने के बाद मैं कभी रूस नहीं गई।
इनके रहने के लिए ख़ुबसूरत कॉटेज भी उपलब्ध
अरैल क्षेत्र में ऐसे कई साधु-संत हैं जिनके यहां विदेशी संन्यासियों के अलावा विदेशी श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में आते हैं। यहां इनके रहने के लिए ख़ूबसूरत कॉटेज भी बने हुए हैं जिनमें श्रद्धालु भी रहते हैं और संत भी रहते है। हालांकि अखाड़ों में रहने वाले विदेशी संन्यासी ठीक उसी तरह रहते हैं जैसे कि अन्य संन्यासी। अरैल क्षेत्र में ही परमार्थ निकेतन शिविर में गंगा सफ़ाई, महिला सशक्तिकरण, सफ़ाई कर्मचारियों के कल्याण इत्यादि के बारे में कई जागरुकता कार्यक्रम भी चलते रहते हैं।
Pingback: https://www.pinterest.com/ketquaxosotv/
Pingback: forum watches replica
Pingback: overstock watches fake
Pingback: knockoff Bulgari
Pingback: lo de
Pingback: click here
Pingback: 사설토토
Pingback: is dragon pharma anavar legit
Pingback: Digital Transformation companies
Pingback: functional testing solutions
Pingback: 토렌트사이트 추천
Pingback: 사설토토
Pingback: AEG BP7304021M manuals
Pingback: Xerox Document Centre 425 ST manuals
Pingback: Peter Comisar Disgraced Ex Goldman Sachs Banker Sued By Scooter Braun For Fraud.
Pingback: fake roadster rolex.html
Pingback: anti keylogger
Pingback: หลังคาชิงเกิ้ลรูฟ
Pingback: Kostenlos Sex Chat Mv
Pingback: Ado Russe Sexy Cam
Pingback: 핫테TV
Pingback: 12 gauge shotgun
Pingback: maxbet
Pingback: 이천눈썹문신
Pingback: เงินด่วน
Pingback: Buying Lsd Online Australia
Pingback: จํานําโฉนดที่ดินที่ไหนดี
Pingback: men looking for women
Pingback: 토토포켓몬
Pingback: have a peek at this website
Pingback: roof skylight
Pingback: butterfly weed for sale
Pingback: hookers near me
Pingback: https://www.enaesineve.com/forum/discussions-generales/princess-casino-relatii-clienti-princess-casino-online?searchTerm=casino