आज़ादी के बाद कई दशक बीत गये, देश ने लड़खड़ाते हुए चलना सीख लिया।पर पिछड़ता रहा देश का मूल-आधार गाँव ।अंधेरों में जीते रहे लोग, किसान अन्न उगाकर भी भूखा ही रहा, सड़कों के नाम पर कच्चे-गड्ढ़ों से भरे रास्ते। जिसने भी उन रास्तों को पार किया,कभी वापस लौटा नहीं।भाषण की बड़ी प्रसिद्ध पंक्ति – “हमें ग़रीबी रेखा मिटानी है” !! बस इसे दोहराती रही सरकारें। इस जुमले को गरीब जनता को सुना-सुनाकर पीढ़ियों ने शासन किया,मगर कभी किया कुछ नहीं। गहराती रही ये “ग़रीबी रेखा”। ग्रामीण जनता बेबस-मौन रह,उनकी नाकाबिलियत को झेलती रही। चुनावी वक़्त में झूठी आस बँधाते नेता बड़ी बेशर्मी से उनकी जीर्ण-शीर्ण झोली से वोट बटोरकर ले जाते रहे।
2014 में मोदी सरकार देश के उत्थान हेतु बुलंद इरादों से चहुँमुखी विकास में जुट गई।सरकार ने ग्रामीण परिवेश के समुचित विकास और महिलाओं-बच्चियों के लिये अनेक योजनायें शुरू कीं और उनका सफलतापूर्वक निष्पादन किया।मोदी सरकार की समतामूलक समाज की दिशा में हरेक क़दम “सबका साथ-सबका विकास” की भावना से उठाया गया।
बरसों से अंधेरों से जूझते 18,374 गाँवों को दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत बिजली पहुँचाई गई है।कई गाँव तो ऐसे थे जहाँ आज़ादी के सत्तर साल बाद पहली बार लोगों ने बल्ब की रोशनी से प्रकाशित अपना घर देखा। इस योजना के तहत 28 अप्रैल 2018 तक भारत के 5,97,464 जनगणना वाले गाँवों में बिजली पहुँचाने में मदद मिली है।सरकार ने मई 2018 तक सभी गांवों का विद्युतीकरण करने का लक्ष्य रखा है। 2016-17 में हरित ऊर्जा की क्षमता में 50 GW की क्षमता स्थापित करके सरकार ने एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है ।सरकार का लक्ष्य 2022 के अंत तक अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता को 175000 मेगावाट के स्तर पर पहुंचाने का है।
प्र॰मं॰ ग्राम सड़क योजना के तहत त्वरित गति से सड़क निर्माण (प्रतिदिन 134 किमी) कर ग्रामीण भारत को विकास की राह से जोड़ती जा रही है।वर्ष 2014-18 के दौरान निर्मित सड़कों की लंबाई 1,69,408 किमी है।केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को सतत जारी रखने की मंज़ूरी दी है। 84,934 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से इस योजना द्वारा 38,412 बस्तियों को जोड़ने में मदद मिलेगी।
आज देश के सुदूर इलाक़ों तक सड़क से पहुँच बेहद आसान हो गया है।भारत का गाँव ख़ुशहाली के रास्ते पर चल चुका है।केंद्र सरकार का लक्ष्य ग्रामीण विकास हेतु बुनियादी ढांचे, खेतिहर आय, रोजगार सृजन और उद्यमिता से संबंधित पुनरुत्थान नीतियों के माध्यम से ग्रामीण गरीबों का उत्थान करना है। आय बढ़ाने के प्रमुख लक्ष्य के साथ सरकार ने रोजगार सृजन, कौशल विकास और उद्यमिता से संबंधित कई कार्यक्रमों की शुरूआत की है। नए विशिष्ट लक्ष्य (2019) योजना के तहत, ‘राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन’ द्वारा सरकार महिला स्वयं समूहों की मदद करने और 7 करोड़ ग्रामीण बीपीएल परिवारों को टिकाऊ आजीविका प्रदान करने पर पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि वे भी जीवन-स्तर बढ़ाकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
हरेक साल प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, आंधी, ओले और तेज बारिश के चलते किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है और उनकी फसल खराब हो जाती है।उन्हें ऐसे संकट से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है।इसके तहत किसानों को खरीफ की फसल के लिये 2 फीसदी प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। समावेश विकास हेतु सरकार ने आवास योजना,गैस सिलिंडर व बिजली की ग्रामीण तबके को आसानी से उपलब्धता हेतु व रोज़गारोन्मुख अनेक योजनाओं को बेहद सुचारू रूप से सफलतापूर्वक चलाकर इस कमज़ोर कड़ी को मज़बूती व स्थिरता प्रदान की है। प्रत्येक नागरिक को वर्ष 2022 तक बिजली, पानी और शौचालय युक्त पक्का घर उपलब्ध कराने हेतु मोदी सरकार प्रतिबद्ध है। ये तो सिर्फ़ बानगी भर है,ऐसी अनेक योजनायें ग्रामीण जनता को प्रगति-पथ पर लाने हेतु चलायी जा रही हैं। समय आ गया है जब गाँव की बंजर आशाओं में विकास के पुष्प प्रस्फुटित हो रहे हैं।अब पथराई-सूनी आँखों में सपनों की झलक बसने लगी है। ये बदलते भारत की नई तस्वीर है,जिसे सरकार प्राण-पण से ख़ुशहाली के रंगों से सजाने में प्रयासरत है।हम भी अपनी सार्थक-कोशिश से हाथ बंटाये और #NewIndia बनायें।
-जया रंजन
…….Jaya Ranjan – (the author can be reached at her twitter handle @JayaRjs)
