स्वच्छ भारत मिशन : भाजपा सरकार
3/2/2019 MUMBAI [ फिल्म लेखक व् निर्देशक साहिल बी श्रीवास्तव की कलम ] नव वर्ष की हार्दिक शुभकामान के साथ आप सभी पाठकों के लिए भाजपा सरकार की उप्लाब्दियों पर प्रथम श्रृखंला में विश्वपटल पर भारत की अन्तरराष्ट्रीय छवि पर प्रकाश डालने का अथक प्रयास किया था | माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वार सरकार के सपथ घोषणा के साथ स्वच्छ भारत मिशन का आगाज़ किया था | सरकार की इस योजना का विपक्ष के साथ बहुत से लोगो ने इस अभियान का मजाक उड़ाया था इस तथ्य पर सभी ने हंसी उड़ाई थी हँसनें का कारण तो किसी को समझ में नहीं आया था लेकिन आज़ादी के बाद देश की सरकारों को फुर्सत ही कहा था की देश स्वच्छ रहे देश की स्वच्छता से हुक्मरानों को क्या लेना देना जो अपने आलिशान महलों में रहते हैं चारो तरफ घर में साफ़ सफाई की एक फौज खड़ी रहती हैं उसे क्या एहसास होगा सफाई क्या होती है ? स्वछता क्या होती हैं
देश के नागरिक–गरीब तबके के लोगो को गंदगी बदबूदार माहौल में सड़ने को मजबूर थे ऐसा नहीं है रहा गरीबों के उथान के लिए किसी तरह की स्वच्छता से सम्बन्धित योजना को लागु किया गया था लेकिन गत ७० साल में भारत सरकार ने स्वच्छता पर गरीबों के लिए कोई ठोस कदम उठाये गए हो लेकिन उस इलाके के प्रधान, नगरसेवक, विधायक, सांसद,गरीबों की गंदगी स्वच्छता स्वास्थ्य पर कभी चिंता भी की होगी | गरीब तबके गंदिगी में रहने वाले समुदाय को संगठित कर बहुत सी पार्टियों का गठन हुआ और ये पार्टियों के राजनीतिज्ञ सरकार में भागीदारी भी की , लेकिन गंदगी में रहने वाला गरीब गंदगी में रहने को मजबूर ही रहा | लेकिन ७० सालों की एक गंदगी वाली परम्परा को किसी ने समझा इस दर्द को महसूस किया तो ये कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उसकी वजह भी साफ़ हैं गुजरात के गरीब घर से जमीनी हकीक़त से रूबरू आम इंसान के हाथ में देश की बागडोर देश की जनता ने दिया | एक पहल और भी हुई जब हमारे घरों से कचरा उठाने वाली गाड़ी आती तो बिना किसी चुक के हम कहते कचरे वाला आया हैं क्या कभी ने इस सवांद को गौर से समझा नहीं न लेकिन प्रधान मंत्री ने इस सवांद की सोच को नयी विचार धारा दी कचरे वाला नहीं आया हैं सफाई कर्मचारी आया हैं जो हमारी गंदगी को हमारे घरों गली मुहलों को साफ़ सफाई करने आया हैं | देश के लाखों सफाई कर्मचारियों को लगा ये प्रधनमंत्री उनके बीच का हैं उनका अपना है जो हमारी कार्यप्रणाली के नाम को इज्ज़त नयी भाषा दी हैं |
स्वच्छ भारत मिशन को विपक्ष ने श्री नरेंद्र मोदी का बेतरीन ड्रामा का ख़िताब दिया देश में बहुत से काम हैः इस तुक्ष काम से देश को गुमराह करने का नाटक हैं | लेकिन जब एक सुबह देश का प्रधान मंत्री अपने साथियों के साथ सड़क पर झाड़ू लगाने निकलता हैं झाड़ू लगता हैं देश की करोड़ों आँखों ने इस एक नए भारत को देख रहा था
देश के नौन्हालों और देश के युवाओं ने इस भारत को अपनी आँखों से देख कर उसके मन में हलचल मच रही थी जिस महात्मा गाँधी के स्वच्छता के प्रयोग को साऊथ अफ्रीका में बसी एक इंडियन बस्ती में सफलता पूर्वक क्क्रियान्वित होते देखा था उस देश ने ,गाँधी ने स्वच्छता और बीमारी के रहस्य को बहुत अच्छी तरह प्रयोग कर बिमारियों से दूर कैसे रहा जाएँ सभी ने देखा और उनकी आत्मकथा को पढ़ा भी हैं |
लेकिन कांग्रेस सरकार ने गाँधी के उपनाम को गर्व से अपनाया गाँधी को अपना ब्रांड भी बनाया लेकिन गाँधी इस प्रयोग को कभी नहीं अपनाया ये कितनी बड़ी विडम्बना हैं इसे ही कहते हैं कथनी और करनी में फर्क कांग्रेसी के कितने ही राजनीतिज्ञों ने मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को स्टंट करार दिया लेकिन किसी ने नरेंद्र मोदी के इस अभियान की समीक्षा की हैं | शायद नहीं आखिर क्यों सरकार की किसी अच्छे अभियान को विपक्ष स्वीकार करने से गुरेज क्यू करता हैं | ये अहम सवाल हैं देश के सामने ?
क्या २०१४ –२०१९ स्वच्छ भारत अभियान की सफलता की कहानी सोचने को मजबूर कर दिया मेरी लेखनी को ? क्या देश ने इसे स्वीकार किया भी…नहीं मैं तो कहता हूँ देश ने तहे दिल से इस अभियान को स्वीकार किया हैं स्वच्छता ने अपनी राह चुनी बड़े शहरों ने स्वीकार कर लिया हैं देश ने स्वच्छता के इस मर्म को बखूबी समझ भी लिया हैं अब देश के शहरों ने अपनी गति पकड ली हैं सर्वजनिक स्थानों रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड के साथ साथ ट्रेन की बोगियों और बसों के अंदर गंदगी ना मात्र की रह गयी हैं इसकी तारीफ़ भी मिलने लगी हैं सफाई को देख अंदर से भी सबकों अच्छा लगने लगा |
पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए देश स्वच्छता पर बहुत खुबसुरत वक्त्यव्य दिया था जिसे देश के हर तबके ने स्वीकार किया था | यदि भारतवासी कम से कम खर्चे में मार्स पर पहुंच सकते हैं तो क्या अपना गली–मुहल्ला साफ नहीं कर सकते? उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं यह कठिन काम है, लेकिन हमारे पास 2019 तक का समय है। भारतवासी ये कर सकते हैं। भारतवासी कम से कम खर्चे में मार्स पर पहुंच सकते हैं तो क्या अपने गली–मुहल्ले साफ नहीं कर सकते?
देश के स्वच्छता की को मिशन के रूप में देखना तो आसन था लेकिन ये असंभव भी था सवा सौ करोड़ भारतियों को सन्देश देना विज्ञापन देना बहुत आसन रास्ता होता हैं लेकिन जब तक किस भी योजन का देश स्वीकार नहीं करता सारे अभियान असफल ही होते हैं इसलिए प्रधानमंत्री ने इसे विज्ञापन तक सिमित नहीं रखा सभी देश के ५०% लोग डिजिटल मिडिया,सोसल मिडिया की ताकत को समझा और देश के सभी नागरिकों को एक नयी पहल या प्रयोग किया ‘गंदी जगह को साफ करें, वीडियो अपलोड करें‘ और सोशल मीडिया में भी इस अभियान की शुरुआत हुई किसी गंदी जगह की फोटो अपलोड करें, फिर उसकी सफाई कर वीडियो अपलोड करें।
एक अपील ये भी की राजनीतिज्ञों को राजनीति के चश्में से प्रेरित होकर इस अभियान को न देखें। यह राष्ट्रनीति से प्रेरित अभियान है। देश में वैसे कई सामाजिक संगठन हैं जो सफाई के लिए काम कर रहे हैं। महात्मा गांधी हर गली में सफाई अभियान के लिए नहीं गए थे, लेकिन उनकी प्रेरणा ने ऐसा कराया। ये काम सिर्फ सरकार का, मंत्रियों का नहीं है। यह काम जन सामान्य का है।‘ इस देश को गंदगी से मुक्त करना सिर्फ सफाई कर्मचारियों का काम नहीं है। सवा सौ करोड़ देशवासी जैसे भारत माता की संतान हैं ।
सदी के महानायक श्री अमिताभ बच्चन जी ने स्वच्छ भारत अभियान के भारत सरकार के सभी प्रिंट व् डिजिटल मिडिया में अपना पूरा योगद्दन दिया निःशुल्क इस महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के स्वप्न को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 से इस अभियान का आरम्भ किया ये उद्देश्य रहा की पांच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की २ अक्टूबर २०१९ के दिन उनकी 150वीं जयंती स्वच्छ भारत के रूप में मनाया जाए दुनिया के मानचित्र में स्वच्छता का एक आयाम स्थापित कर सके |
प्रधानमंत्री ने मृदुला सिन्हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, शशि थरूर, अनिल अम्बानी, कमल हसन, सलमान खान,प्रियंका चोपड़ा और तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम जैसी नौ नामचीन हस्तियों को स्वच्छ भारत अभियान से सभी को जोड़ा इसक प्रतिसाद अच्छा हुआ एक सफलता ये भी रही के स्वच्छता सौचालय जैसे विषय को आधार बना कर बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार ने टॉयलेट एक प्रेमकथा फिल्म का निर्माण किया फिल्म सफल रही और हल्के–फुल्के मनोरंजन के साथ के शौचालय महत्त्व को अच्छी तरह से सन्देश देने में सफल हुई ये मोदी सरकार का जादू था और एक स्वच्छता पर अच्छी सोच थी जिसने फिल्म को लोगो ने दिल से अपनाया और स्वच्छता को भी दिल से अपनाया
सरकार के इस मिशन का उद्देश्य 1.04 करोड़ परिवारों को लक्षित करते हुए 2.5 लाख सामुदायिक शौचालय, 2.6 लाख सार्वजनिक शौचालय और प्रत्येक शहर में एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा प्रदान करना है। इस कार्यक्रम के तहत आवासीय क्षेत्रों में जहां व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण करना मुश्किल है वहां सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना। पर्यटन स्थलों, बाजारों, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशनों जैसे प्रमुख स्थानों पर भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जाएगा। यह कार्यक्रम पांच साल की अवधि में 4401 शहरों में लागू किया जाएगा। कार्यक्रम पर खर्च किए जाने वाले 62,009 करोड़ रुपए में से केंद्र सरकार की तरफ से 14623 रुपए उपलब्ध कराए जाएंगे।
केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त होने वाले 14623 करोड़ रुपयों में से 7366 करोड़ रुपए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर, 4,165 करोड़ रुपए व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों पर, 1828 करोड़ रुपए जनजागरूकता पर और सामुदायिक शौचालय बनवाए जाने पर 655 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस कार्यक्रम खुले में शौच, अस्वच्छ शौचालयों को फ्लश शौचालय में परिवर्तित करने, मैला ढ़ोने की प्रथा का उन्मूलन करने, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और स्वस्थ एवं स्वच्छता से जुड़ीं प्रथाओं के संबंध में लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाना आदि शामिल हैं। इस अभियान का उद्देश्य पांच वर्षों में भारत को खुले शौच से मुक्त देश बनाना है।
अभियान के तहत देश में लगभग 11 करोड़ 11 लाख शौचालयों के निर्माण के लिए एक लाख चौंतीस हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी का उपयोग कर ग्रामीण भारत में कचरे का इस्तेमाल उसे पूंजी का रुप देते हुए जैव उर्वरक और ऊर्जा के विभिन्न रूपों में परिवर्तित करने के लिए किया जाएगा।
अभियान के एक भाग के रुप में प्रत्येक पारिवारिक इकाई के अंतर्गत व्यक्तिगत घरेलू शौचालय की इकाई लागत को 10,000 से बढ़ाकर 12,000 रुपए कर दिया गया है और इसमें हाथ धोने, शौचालय की सफाई एवं भंडारण को भी शामिल किया गया है। इस तरह के शौचालय के लिए सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता 9,000 रुपए और राज्य सरकार का योगदान 3000 रुपए होगा। जम्मू एवं कश्मीर एवं उत्तरपूर्व राज्यों एवं विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को मिलने वाली सहायता 10,800 रुपए होगी जिसमें राज्य का योगदान 1200 रुपए होगा। अन्य स्रोतों से अतिरिक्त योगदान करने की स्वीकार्यता होगी।
महात्मा गांधी इस बात को मानते थे की साफ–सफाई, ईश्वर भक्ति के बराबर है और इसलिए उन्होंने लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा दी थी और देश को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। उनका कहना था कि उन्होंने ‘स्वच्छ भारत‘ का सपना देखा था जिसके लिए वे चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एकसाथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गाँधी के इस विचार को आत्मसात किया और शुभारम्भ किया 02 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान कहा था कि इसे देशभक्ति की भावना से जोड़कर देखा जाना चाहिए। सभी भारतीय नागरिक की ये सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम वर्ष 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाए जाने तक उनके स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करें। स्वच्छ भारत की मिसाल कायम करे |
सबका साथ–सबका विकास –पार्ट–३ डिजिटल इंडिया –मेक इन इंडिया कल पढ़े……..
Pingback: THC Oil
Pingback: กู้เงินมหาสารคาม
Pingback: kalpa pharma store reviews
Pingback: here
Pingback: Rolex replica watches
Pingback: Replica omega
Pingback: 토토
Pingback: diamond art kits
Pingback: Software testing services company
Pingback: Devops
Pingback: DeLOCK 42484 manuals
Pingback: rolex replica
Pingback: Login Area
Pingback: Sell Fresh Dumps Online
Pingback: arvest bank
Pingback: DevOps toolset
Pingback: fake uhren
Pingback: Buycannabinoidssales.com is one of the largest suppliers of high quality Research Chemicals in UK.
Pingback: 20 Completely Free Spins on Irish Luck - NO DEPOSIT REQUIRED!
Pingback: betflix
Pingback: เว็บตรงสล็อต
Pingback: linked here
Pingback: Luton escorts
Pingback: www.thedatingadvisor.com/jdate/
Pingback: site web
Pingback: Plantation Shutters
Pingback: where can i buy white Heroin
Pingback: order Packman Starbust Runtz vape
Pingback: ข่าวบอล
Pingback: ดูไพ่ยิปซี
Pingback: ติดตั้งโซลาเซลล์