श्रीनगर का दौरा करने के बाद यूरोपीय संघ के सांसदों ने पेश किया वहां का आंखों देखा हाल, कहा- कश्मीर के लोग चाहते हैं शांति और विकास। आज जम्मू के दौरे पर जाएंगे यूरोपीय संघ के सांसद।
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यूरोपियन यूनियन के 23 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल इस वक्त जम्मू-कश्मीर में है। कल इन सांसदों ने श्रीनगर का दौरा किया और कश्मीर का जायजा लिया और वहां की आंखों देखा हालत आज मीडिया के सामने पेश की। यूरोपीय संघ के सांसदों ने आम लोगों से बात की और वहां के जनप्रतिनिधियों से मिले और उसके बाद दुनियाभर को कश्मीर का सच बताया। आज बड़गाम में इन सांसदों ने पहले अपनी स्थिति स्पष्ट की और कहा कि उनका भारत की राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। वो सिर्फ आतंकवाद का दंश झेल रहे कश्मीर का सच जानने आए हैं। यूरोपीय सांसदों ने आतंकवाद पर भारत के साथ होने की बात करते हुए कहा है कि यह वैश्विक समस्या है। हेनरी मालोसे ने उम्मीद जताई कि पूरे क्षेत्र में शांति बनी रहेगी।
यूरोपीय संसद के एक अन्य सदस्य बिल न्यूटन डन ने भारत को शांतिपूर्ण देश बताते हुए कहा कि भारत के साथ यूरोपीय देशों के बेहतर संबंध हैं। उन्होंने साथ ही बताया कि लोगों से बात जकरके उन्होंने जाना कि भारत सरकार द्वारा भेजे जाने वाले पैसे का कश्मीर के विकास के बजाय गलत कामों में उपयोग किया जाता था।
यूरोपीय संसद के सदस्य थियरी मारीनी ने अपना अनुभव बताया और कहा कि हमने कश्मीर की ताजा स्थिति को लेकर कई लोगों से बात की और उन लोगों ने कहा कि वो पूरी तरह से भारतीय हैं और उन्हें आशा है कि अब देश के अन्य हिस्सों की ही तरह अब यहां पर बुनियादी सुविधाएं बेहतर होगी।
वेल्स से ईयू के सांसद नाथन गिल ने कश्मीर को दुनिया का स्वर्ग बताते हुए कहा कि यह पर्यटन के लिए एक बड़ा क्षेत्र है और भारत सरकार के फैसले से कश्मीर की और देश की अर्थव्यवस्था पर बेहतर प्रभाव पड़ेगा। वहीं वेल्स से ही सांसद जेम्स हिप्पे ने जम्मू-कश्मीर पर भारत के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय जगत भी कश्मीर में शांति का इच्छुक है।
यूरोपीय संसद के सदस्य थियरी मारीनी ने आतंकवाद को कश्मीर की प्रमुख समस्या बताते हुए कहा कि यहां के लोग भारत के अन्य क्षेत्रों की ही भांति शिक्षा चाहते हैं। सांसदों ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को समर्थन करने की जरूरत है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
