लोकसभा ने एनआईए संशोधन विधेयक को दी हरी झंडी, एनआईए को और मजबूत बनाएगा विधेयक, भारत के बाहर भारतीयों पर हुए आतंकी हमले की भी जांच कर सकेगी एनआई, गृहमंत्री अमित शाह ने कहा एनआईए कानून के दुरूपयोग की मंशा नहीं, आतंकवाद को खत्म करने के लिये ही होगा उपयोग.
आतंकवाद के मामलों की जांच करने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए को और अधिक ताकतवर बनाने के उद्देश्य से लाया गया एनआईए संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित हो गया है । सोमवार को लोकसभा में इस विधेयक पर हुई चर्चा के बाद सदन ने इसे पारित कर दिया । कुछ सदस्यों ने इसमें संशोधन रखे थे जो सदन ने खारिज कर दिया । चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा सरकार की एनआईए कानून का दुरूपयोग करने की न तो कोई इच्छा है और न ही कोई मंशा है और इस कानून का शुद्ध रूप से आतंकवाद को खत्म करने के लिये ही उपयोग किया जायेगा। कुछ सदस्यों द्वारा आतंकवादी गतिविधि रोकथाम अधिनियम ‘पोटा’ का जिक्र किये जाने के संदर्भ में गृह मंत्री ने कहा कि पोटा कानून को वोटबैंक बचाने के लिए भंग किया गया था।
संशोधन विधेयक का मकसद एनआईए अधिनियम को मजबूत बनाना है । यह कानून देश में आतंकवाद से निपटने में सुरक्षा एजेंसी को ताकत देगा। अभी एनआईए को देश से बाहर जांच करने का अधिकार नहीं है लेकिन संशोधन के बाद एजेंसी को ऐसा अधिकार मिल जाएगा। कानून में भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में एजेंसी को मामले का पंजीकरण और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अधिनियम के अधीन अपराधों के विचारण के मकसद से एक या अधिक सत्र अदालत, या विशेष अदालत स्थापित करें।
विधेयक से एनआईए की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकेगा और वह विदेशों में भी भारतीय एवं भारतीय परिसम्पत्तियों से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी जिसे आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो । इसमें मानव तस्करी और साइबर अपराध से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है ।
इससे पहले निचले सदन में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखा । उन्होंने कहा कि आज अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या है । ऐसे में सरकार एनआईए को सशक्त बनाना चाहती है । रेड्डी ने कहा कि हम चाहते है कि एनआईए को भारत के बाहर दुनिया में किसी भी हिस्से में भारतीयों के खिलाफ मामले की जांच करने में सक्षम बनाया जा सके ।
तमाम राजनीतिक दलों के सदस्यों ने चर्चा में हिस्सा लिया। ज्यादातर दलों ने इसका समर्थन किया तो कुछ लोगों ने बिल के प्रावधानों पर सवाल खडे किए। लोकसभा से पास होने के बाद इस विधेयक को राज्यसभा से पास कराया जाएगा और उसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये संशोधन लागू हो जाएंगे ।
