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मामल्लापुरम अनौपाचिरक शिखर वार्ता के लिए पूरी तरह तैयार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच की कैमिस्ट्री बेहद ही खास है। दोनों नेता जब भी मिलते हैं गर्मजोशी के साथ मिलते हैं। दो दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे चीनी राष्ट्रपति के साथ पीएम मोदी के साथ यह कैमिस्ट्री देखने को मिलेगी। दोनों नेता चीन के वुहान में आयोजित अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद एक बार फिर मामल्लापुरम में मिलेंगे।

27 अप्रैल 2018 दो दिवसीय वुहान अनौपचारिक शिखर वार्ता का पहला दिन इस मनमोहक धुन के साथ खत्म हुआ। चीन ने कहा ये ‘वादा रहा’ जो भारत के साथ चलने की प्रतिबद्धता को दर्शा गया। इसी वादे की मर्यादा रखते हुए चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग चेन्नई की धरती पर शुक्रवार को आ रहे हैं। राष्ट्रपति जिनपिंग की भव्य मेजबानी के लिए मंच सज कर तैयार हो चुका है। दोनों नेता ऐतिहासिक स्थल समुद्र के किनारे बने मंदिर, अर्जुन की तपस्या भूमि और पंच रथ का दौरा करेंगे।

शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच चेन्नई स्थित मछुआरों की छोटी खाड़ी में प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत होगी।

बात करें वुहान शिखर अनौपचारिक वार्ता की तो दोनों नेताओं ने पूर्वी झील के किनारे चहलकदमी की थी। तब दोनों नेताओं के बीच आपसी विश्वास को बढ़ाने सैन्य ताकत को मजबूत करने के लिए रणनीतिक भागीदारी को बढ़ाने पर सहमति बनी थी।

तब दोनों ही नेता बेतकल्लुफ़ी के साथ पूर्वी झील में नौका विहार के लिए निकल पड़े थे। गौरतलब है कि दो देशों के बीच संबंध को प्रगाढ़ बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी भी इस तरह ही राष्ट्रप्रमुखों की मेजबानी करते दिखे हैं।  पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच तब कई मुद्दों पर चर्चा हुई।

चाय की चुस्कियां के बीच चर्चा …….और साथ ही चीनी राष्ट्रपति को भारत में केतली के इस्तेमाल को बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी….दोनों नेताओं ने…..आपस में भारत-चीन के सहयोग की नई ईबारत लिखी। इस दौरान दोनों नेताओं की बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को एक दस्तावेज भी सौंपा था। एशिया के दो बड़े नेताओं के बीच तब 24 घंटों के भीतर छह मुलाकात हुई थी। जिसमें व्यापार, पर्यटन, लोगों से लोगों के बीच संवाद और अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई थी। इसमें आतंकवाद को लेकर भी चर्चा की गई। जिसकी पहचान विश्व की सबसे बड़ी समस्या के रूप में की गई।

वुहान शिखर वार्ता के पांच हफ्तों के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग एक बार फिर किंगडाओ में मिले। ये चार सालों के भीतर ही दोनों नेताओं के बीच 14वीं मुलाकात थी। 

दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय मुलाकात के बाद दो समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। पहले समझौते के तहत चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ के दौरान जलविज्ञान संबंधी जानकारी दिए जाने की बात थी तो दूसरे में भारत द्वारा चीन को चावल निर्यात करने की सुविधा मुहैया कराना था।

साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई थी। इसके अलावा ब्यूनस आयर्स में जी20 शिखर सम्मेलन के इतर भी मुलाकात हुई। 2019 में दोनों नेता बिश्केक में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान में मिले थे वहीं ओसाका में आयोजित जी 20 शिखर सम्मेलन के इतर भी दोनों की मुलाकात हुई थी। इस साल मामल्लापुरम में यह तीसरी मुलाकात होगी। 

21वीं सदी को एशिया की सदी कहा जाता है और इस महाद्वीप के दो बड़े देशों के नेता……  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सपने को हकीकत में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

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