Opinion

पवन कल्याण: राजनीति की बिसात पर ऐतिहासिक जीत की पटकथा लिखने वाले ‘पॉवर स्टार’

डॉ. अभिषेक सौरभ
(अतिथि शिक्षक, एनसीवेब केंद्र, श्री अरविन्द महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय)
(स्वतंत्र समीक्षक, राजनीतिक विश्लेषक ; ईमेल- [email protected])

तेलुगु सिने-जगत ‘टॉलीवुड’ के ‘पॉवर स्टार’ पवन कल्याण इन दिनों भारतीय राजनीति के नभ पर नव-उदित नक्षत्र की तरह छाए हुए हैं। दक्षिण की मीडिया के साथ-साथ अंग्रेजी और हिंदी पट्टी के अख़बारों और मीडिया बुलेटिन्स में भी उन्होंने ख़ासी सुर्ख़ियाँ बटोरी हैं। इसकी कई वजहें हैं किन्तु तीन प्रमुख और तात्कालिक रूप से ध्यान आकर्षित करने वाली वजहों में से एक है – हालिया लोकसभा और आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी जनसेना का आंध्र प्रदेश के सत्ता निर्धारण में केन्द्रीय भूमिका निभाना; दूसरी प्रमुख वजह है – केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनाने में योगदान देना; और तीसरी प्रमुख वजह है – सौ प्रतिशत सफलता दर के साथ लोकसभा और विधानसभा चुनावों में जनसेना पार्टी के सभी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करना। 2014 में जनसेना की स्थापना करने के उपरांत पहली बार सियासी सफलता का स्वाद चखने वाले पवन कल्याण ने हाल ही में, आंध्र प्रदेश सरकार में उप-मुख्यमंत्री का दायित्व ग्रहण करने के साथ-साथ मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें सौंपे गए राज्य के कई प्रमुख मंत्रालयों की बागडोर अपने हाथों में ली है। इन मंत्रालयों में पंचायती राज, ग्रामीण विकास एवं ग्राम्य जलापूर्ति मंत्रालय समेत पर्यावरण, वन एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय जैसे अहम विभाग सम्मिलित हैं। ध्यातव्य है कि पर्यावरण एवं ग्राम्य जीवन की बेहतरी के लिए कार्य करने से जुड़े ये अहम विभाग पवन कल्याण द्वारा गाहे-बगाहे कई चुनावी मौकों पर प्रकट की गई उनकी इच्छित कार्यक्षेत्रीय अभिरुचियों के अनुरूप है। ये अहम विभाग उनकी पार्टी जनसेना की चुनावी घोषणापत्र में उल्लिखित प्राथमिकताओं से भी संगत है। जनसेना पार्टी की इस बात के लिए प्रशंसा की जा सकती है कि पर्यावरणीय संरक्षण और संधारणीय विकास से सम्बंधित मुद्दे इसकी प्राथमिक एजेंडों में सम्मिलित है, जो कि अब तक सामान्यतया राजनीतिक दलों के मेनिफ़ेस्टो से गायब ही रही है। चूँकि अब यह मंत्रालय पवन कल्याण के अधीन है इसलिए उनके पास इस क्षेत्र में अपनी दूरदर्शिता प्रदर्शित करने का महत्वपूर्ण अवसर है। यह देखने योग्य होगा कि अपने चुनावी भाषणों में पर्यावरणीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाने वाले जनसेना प्रमुख धरातल पर इस ज्वलंत सन्दर्भ में कितना क्या कुछ कर पाते हैं! भविष्य इसका मूल्यांकन अवश्य करना चाहेगा! इसी तरह कभी किसान बनने का सपना सँजोने वाले सिने-जगत के सफल अभिनेता अपनी नई भूमिका में ग्राम्य जीवन को कितना संवार पाते हैं, इसका उचित मूल्यांकन भी अब वक़्त के हाथों में ही है! यद्यपि कृषि मंत्रालय का प्रभार उनके दायित्व क्षेत्र से बाहर है किन्तु वन, ग्रामीण विकास, ग्राम्य जलापूर्ति, तकनीकी संवर्धन जैसे क्षेत्रों में काम करते हुए उनके पास कृषि-जगत से जुड़कर और इन सबकी पारस्परिक बेहतरी के लिए कार्य करने की अपार संभावनाएं निस्संदेह उपलब्ध हैं।
गौरतलब है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पुन: एनडीए की सरकार बनी है जिसमें भाजपा सबसे बड़ी पार्टी अवश्य है किन्तु एकल स्तर पर बहुमत से दूर है। ऐसी स्थिति में भाजपा के लिए अपने गठबंधन सहयोगियों पर निर्भरता निर्विवाद रूप से बढ़ गई है। जनसेना अपने दो लोकसभा सांसदों के समर्थन के साथ एनडीए का हिस्सा है, जिससे केंद्र की सरकार बनाने में इनकी स्पष्ट भूमिका परिलक्षित होती है। यद्यपि जनसेना के दोनों सांसदों में से कोई भी अभी मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं हैं, किन्तु यह सर्वविदित है कि मौजूदा प्रधानमंत्री को ‘पॉवर स्टार’ का बिना शर्त समर्थन हासिल है। यहाँ यह उल्लिखित करना आवश्यक है कि आंध्र प्रदेश की एक और पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा या टीडीपी) भी केंद्र सरकार में एनडीए की महत्वपूर्ण सहयोगी है। तेदेपा अपने 16 सांसदों के साथ केंद्रनीत गठबंधन सरकार की दूसरी सबसे बड़ी घटक दल है। आंध्र प्रदेश में तेदेपा प्रमुख नारा चंद्रबाबू नायडू जनसेना, टीडीपी और भाजपा नीत गठबंधन सरकार के मुखिया हैं। आंध्र प्रदेश की आबोहवा में अब यह तथ्य पूरी सशक्तता के साथ गुंजायमान है कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किए जाने के मुद्दे पर पिछले दशक के दौरान 2018 में उत्पन्न तेदेपा और भाजपा के बीच की खाईयों को पाटने और उनके परस्पर राजनीतिक मनमुटाव को दूर करके इनके मध्य पुन: गठबंधन निर्मित करने की दिशा में सबको एकजुट करने का कार्य पवन कल्याण ने किया है। इन अर्थों में पवन कल्याण भाजपा और तेदेपा के योजक तो हैं ही; साथ ही, राज्य में अजेय बन चुकी त्रिदलीय गठबंधन के सूत्रधार भी हैं!
2023 के सितम्बर में आंध्र प्रदेश पुलिस की सीआईडी ने कथित स्किल डिवेलपमेंट घोटाले में चंद्रबाबू नायडू को गिरफ्तार कर लिया था। ये घोटाले 2014 से 2019 के दौरान चंद्रबाबू नायडू के मुख्यमंत्रित्वकाल के बताए गए। उस वक़्त आंध्र प्रदेश की सत्ता पर काबिज़ जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पर प्रतिशोध की राजनीति के आरोप भी लगे। पवन कल्याण ने इस विषम परिस्थिति में चंद्रबाबू नायडू का डटकर साथ दिया और जगन मोहन रेड्डी सरकार के विरुद्ध मुखर होकर आवाज़ उठाई। उन्होंने अपने भाषणों में लगातार नीतिगत, सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर जगन सरकार के विफलताओं की आंकड़ों सहित तीखी आलोचना करना जारी रखा। जब पवन कल्याण, नायडू से मिलने राजमुंदरी स्थित राजामहेंद्रवरम केंद्रीय कारागार जा रहे थे तो उन्हें उनसे मिलने नहीं दिया गया। लिहाज़ा पवन कल्याण बीच सड़क पर ही तेदेपा कार्यकर्ताओं और अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए। इस घटना ने तब तेदेपा के निराश-हताश कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का कार्य किया और पहली बार जनसेना-तेदेपा के समर्थक वैचारिक-राजनीतिक मनोभावों के स्तर पर एक-दूसरे के संपर्क में आकर जमीनी स्तर पर एकजुट होने की प्रक्रिया में आगे बढ़ते नजर आए। दो-तीन दिनों के उपरांत यहीं राजामहेंद्रवरम केंद्रीय कारागार के बाहर पवन कल्याण ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जनसेना-तेदेपा के गठबंधन की घोषणा की और भाजपा को भी इससे जुड़ने के लिए सार्वजानिक तौर पर आमंत्रित किया। 53 दिनों बाद जब नायडू जेल से बाहर आए तब उन्होंने अपने तमाम समर्थकों के साथ-साथ पवन कल्याण और जनसेना कार्यकर्ताओं का भी आभार प्रकट किया। भाजपा अभी तक आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपना गठबंधन चुनने के प्रति अनिर्णय की स्थिति में थी क्योंकि राज्य की सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस भी केंद्र में मोदी सरकार के प्रति अपना समर्थन व्यक्त कर चुकी थी। यह पवन कल्याण ही थे जिन्होंने दिल्ली जाकर मोदी-शाह से मुलाकात की और उन्हें आश्वस्त किया कि किस तरह से उनके साथ आ जाने से राज्य में तेदेपा-भाजपा-जनसेना गठबंधन की जीत पक्की है क्योंकि इससे वाईएसआर कांग्रेस-विरोधी लहर को और बल मिलेगा और अंततः सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान कर रहे मतदाताओं के वोट बंटने से बच जाएंगे। पवन कल्याण द्वारा प्रणीत इसी राजनीतिक सूत्र पर भरोसा जताते हुए तेदेपा-भाजपा-जनसेना गठबंधन ने सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में उसके पूर्व के 151 सीटों की तुलना में मात्र 11 सीटों पर लाकर सीमित कर दिया। 175 सीटों वाली विधानसभा में अब वाईएसआर कांग्रेस के पास विपक्ष का दर्जा भी शेष नहीं बचा है। इसी तरह से, राज्य की कुल 25 लोकसभा सीटों में से 21 सीट पर गठबंधन ने कब्ज़ा जमाया है। बात अगर जनसेना की करें तो विधानसभा में उसे 21 सीटों पर और लोकसभा में 2 सीटों पर सफ़लता मिली है। इस चुनाव में जनसेना ने लोकसभा या विधानसभा में पार्टी उम्मीदवारों द्वारा लड़ा गया अपना एक भी सीट नहीं गंवाया है जो कि ‘पॉवर स्टार’ की जन-उपाधि से विभूषित पवन कल्याण को तेलुगु फ़िल्मों की भांति तेलुगु राज्य की राजनीति में भी ताकतवर सितारे की तरह प्रतिस्थापित करती जान पड़ती है। राजनीतिक पंडितों की राय में, 2024 के चुनावी समर में अपने हालिया प्रदर्शनों की बदौलत अब जनसेना को निकटवर्ती तेलुगु भाषी राज्य तेलंगाना और राष्ट्रीय राजनीति के परिदृश्य पर पूरी ताकत से उभर सकने का एक शानदार अवसर भी मिल गया है।

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