दिल्ली में रसायन उद्योग के सम्मेलन में वन और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि इस उद्योग में भारत की वैश्विक भागेदारी कैसे 3 से बढ़कर 10 फीसदी हो इस पर काम होना चाहिये। प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि उद्योग जगत को स्वतन्त्रता के साथ साथ जिम्मेदारी भी उठानी चाहिये।
वन और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर कहा कि बेहतर कचरा प्रबन्धन और उद्योग में लगने वाले पानी को फिर से इस्तेमाल लायक बनाने की दिशा में काम करते हुये रसायन उद्योग के विकास योजना पर काम होना चाहिये। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि सरकार सब कुछ तय नहीं करना चाहती और किसी भी समस्या से निपटने के लिये साझीदारो की भूमिका बेहद अहम है। नये संस्थानों की जरूरत पर बल देते हुये उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा सेक्टर में सेल्फ रेगुलेशन की तरफ बढ़ा जाना चाहिये और इसके लिये उद्योग जगत को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिये। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक से नही बल्कि इसके रीसायकल न किये जाने से समस्या होती है। उन्होंने कहा कि रसायन उद्योग इस बात पर ध्यान दे कि कैसे प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन किया जाए साथ ही उद्योग में इस्तेमाल होने वाले जल को फिर से साफ कर इस्तेमाल योग्य बनाया जा सके।
भारत में केमिकल उद्योग और बेहतर पर्यावरण प्रबंधन विषय पर अपने संबोधन में स्व नियमन के महत्व को रेखांकित करते हुये प्रकाश जावडेकर ने बताया कि इस बार दीपावली पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण में कमी आई है और ये बच्चों के सकल्प का नतीजा है। दिल्ली में कानक्लेव को संबोधित करते हुये केंद्रीय मंत्री ने कहा कचरा प्रबन्धन स्वच्छ भारत के लिये अहम है। उन्होंने कहा कि भारतीय जीवनशैली हमेशा से ही पर्यावरण हितेषी रही है लेकिन उद्योगों के मामलें में हमने इस पर पहले ध्यान नही दिया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि उद्योगो को निश्चित फ्रेमवर्क के तहत स्वतन्त्रता मिले लेकिन उद्योग जगत को भी जिम्मेदारी उठानी होगी।
गौरतलब है कि भारत मे रसायन उद्योग के विकास की काफी अवसर है। ऐसे में पर्यावरण की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कैसे विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा जाए उस दिशा में इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है।