भारत की संसद की प्रथम बैठक के 68वें वर्ष के अवसर पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, संसदीय कार्य एवं कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी और अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने संसद के केंद्रीय कक्ष और चैम्बर्स का दौरा किया।
भारत की संसद के प्रथम बैठकों के 68 वर्ष पूरे होने के अवसर पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू; लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला; केन्द्रीय संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी; संसदीय कार्य, भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल तथा विदेश और संसदीय कार्य के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने आज लोकसभा और राज्यसभा के चैम्बर्स और ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल का दौरा किया।
उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष ने इस अवसर पर दोनों सदनों की प्रथम बैठकों के विभिन्न स्मृतियों और अनुभवों के बारे में चर्चा की । इससे पहले लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला ने इस अवसर पर देशवासियों को बधाई दी और कहा कि आज का दिन भारत के लोकतंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ओम बिरला ने कहा कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद पहली बार 13 मई, 1952 को संसद की दोनों सभाओं अर्थात लोक सभा और राज्य सभा की बैठक हुई थी ।
श्री बिरला ने इस बात का उल्लेख किया कि भारत में प्राचीन काल से ही मजबूत लोकतांत्रिक परम्पराएँ रही हैं और हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं ने राष्ट्र निर्माण में बहुत योगदान किया है । उन्होने यह भी कहा कि हमारी संसद संविधान के उच्च आदर्शों, सहभागितापूर्ण लोकतन्त्र, सामाजिक न्याय और देशवासियों को उनके उचित आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकार दिलाने के लक्ष्य प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
लोक सभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि पिछले सात दशकों में हमने अनेक बाधाओं का सामना किया है और अपने संविधान तथा लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का सफलतापूर्वक संरक्षण करते हुए इसे और मजबूत बनाया है । इस बात का उल्लेख करते हुए कि पहले भी हमारे देश जब भी किसी चुनौती का सामना करना पड़ा है, तो हमारे इस महान देश के लोग ने मिलकर इसका सामना किया है, ओम बिरला ने यह आशा व्यक्त की कि हमारे देशवासियों के संयुक्त प्रयासों से हम कोविड-19 महामारी पर काबू पाने में भी सफल होंगे ।
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