उच्चतम न्यायालय ने खतरनाक वायु प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही, न्यायालय ने दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में कूड़ा-करकट और अपशिष्ट सामग्री जलाने पर रोक लगाने के साथ ही सभी प्रकार के निर्माण करने और तोड़-फोड़ की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने जहरीले वायु प्रदूषण पर राज्य सरकारों को फटकार लगाई। उसने निर्देश दिया कि केंद्र और राज्य सरकारें भविष्य में ऐसी स्थिति को रोकने के लिए तीन सप्ताह के भीतर कार्य योजना तैयार करें।
सर्वोच्च न्यायालय ने कल कहा था कि लोगों को जहरीले वायु प्रदूषण से मरने के लिए छोड़ा नहीं जा सकता और निर्माण और तोड़-फोड़ करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। आदेश में यह भी कहा गया है कि इस क्षेत्र में यदि कोई व्यक्ति कूड़ा और अपशिष्ट जलाते हुए पाया जाता है तो उस पर पांच हजार रुपये जुर्माना किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति अरुण मिश्र और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कल कहा कि किसी भी प्रकार की कोताही के लिए स्थानीय प्रशासन और क्षेत्रीय अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे। पीठ ने कहा कि इस क्षेत्र में बनी हुई स्थिति किसी व्यक्ति के जीने के अधिकार का खुला और गंभीर हनन है। वैज्ञानिक आंकड़े भी इस बात की ओर इशारा करते हैं कि प्रदूषण के कारण लोगों की जीवन अवधि में कमी आई है।सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जिम्मेदार एजेंसियों को आरोप-प्रत्यारोप की बजाए इस समस्या के समाधान पर सामूहिक रूप से कार्रवाई करनी चाहिए। न्यायालय ने दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों को योजना तैयार करने को कहा है ताकि खुले में जमा किए गए कूड़े को हटाना सुनिश्चित किया जा सके। सड़कों पर धूल के कारण प्रदूषण पर पीठ ने कहा कि जिन क्षेत्रों में ज्यादा धुंध दिखाई दे, वहां पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए।