बुरहान वानी जैसे खुंखार आतंकवादी को “गरीब प्रधानाध्यापक का बेटा” कहने वाले बुद्धिजीवी वर्ग भले ही बार बार यही दुहराती रहे की—आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता—लेकिन सच तो यही है आतंकवाद के निशाने पर देश की सुरक्षा संस्थाऐ, निर्दोष नागरिक और लोकप्रिय हिंदु नेता ही होते हैं।
दिल्ली पुलिस की एक विशेष दल ने, एक मुठभेड़ के बाद, तीन संदिग्ध आईएसआईएस आतंकवादियों को राष्ट्रीय राजधानी के वजीराबाद गिरफ़्तार से किया। पुछताछ के दौरान गिरफ़्तार आतंकवादियो ने—जिसके पास से भारी मात्रा में गोला-बारूद भी बरामद किए गए—बताया कि उन्हें पुलिस और सेना के भर्ती शिविर पर हमले करने का निर्देश दिया गया था। इसके साथ ही उन्हें दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सहित देश भर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेताओं के साथ-साथ हिंदूओं को भी निशाना बनाने का आदेश दिया गया था।
9 दिसंबर को एक संवाददाता सम्मेलन में, दिल्ली पुलिस ने बताया कि तीनों कट्टरपंथी आतंकवादी आईएसआईएस से प्रेरित मॉड्यूल का एक हिस्सा थे, जिनको दिल्ली पुलिस की एक विशेष दल ने गिरफ़्तार किया था।
तमिलनाडु के थिरुवल्लूर पूर्वी जिले के हिंदु मुन्नानी के लोकप्रिय नेता के पी सुरेश की हत्या के छह आरोपी तमिलनाडु से भागने में कामयाब हो गए थे। पुलिस को सूचना मिली कि वो नेपाल फ़रार हो गये और वहीं से एक विदेशी-हैंडलर के साथ भारत में प्रवेश करेगें। उनकी योजना दिल्ली और उत्तर प्रदेश में प्रदर्शित पोस्टर के आधार पर हिंदू नेताओं को निशाना बनाने की थी। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता परंतु आतंकवाद के निशाने पर हमेशा लोकप्रिय हिंदु नेता ही होते हैं।
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