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देश में कोरोना वायरस मरीजों के स्‍वस्‍थ होने की दर बढ़कर साढ़े 41 प्रतिशत से अधिक हुई

देश में कोविड-19 रोगियों के ठीक होने की दर बढ़ कर 41 दशमलव छह एक प्रतिशत हो गई है, जो मार्च में सात दशमलव एक प्रतिशत थी। मृत्‍यु दर घटकर दो दशमलव आठ सात प्रतिशत पर पहुंची।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि कोरोना वायरस के कारण मृत्यु दर तीन दशमलव तीन शून्य प्रतिशत से घट कर दो दशमलव आठ सात प्रतिशत रह गई है, जो विश्व में सबसे कम है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन और कंटेनमेंट के लिए सरकार के उपायों के कारण भारत में एक लाख की जनसंख्या में दस दशमलव सात लोग ही संक्रमित हुए। इसकी तुलना में विश्व में एक लाख की आबादी पर उनहत्तर दशमलव नौ लोग संक्रमित हुए। उन्होने बताया कि एक लाख की आबादी पर विश्व में चार दशमलव पांच लोगों की मृत्यु हो रही है जबकि भारत में एक लाख की आबादी पर केवल शून्य दशमलव तीन लोगों की ही मृत्यु हो रही है, जो विश्व में सबसे कम है। 

उन्होने लोगों से हाथ धोने और सुरक्षित दूरी बनाए रखने के नियमों का पालन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि घर से निकलते समय मास्क अवश्य पहनना चाहिए। अधिकारी ने बताया कि कोविड- 19 को फैलने से रोकने के लिए बचाव और नियंत्रण के उपायों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। कोविड-19 से बुजुर्गों की मृत्यु दर लगभग 50 प्रतिशत जबकि अऩ्य बीमारियों से भी जूझ रहे संक्रमित लोगों में मृत्यु दर 73 प्रतिशत है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक ने बताया कि फिलहाल देश में रोजाना एक लाख से अधिक नमूनों की कोविड-19 जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि अब 612 प्रयोगशालाओं में जांच की सुविधा उपलब्ध है, जिनमें से 430 सरकारी और 182 निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाएं हैं।

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के उपयोग के बारे में परिषद के महानिदेशक ने कहा कि यह दवा मलेरिया से निपटने में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जा रही है और इसमें वायरसरोधी गुण भी हैं। उपलब्धता, सुरक्षा और अध्ययन के आंकड़ों के आधार पर परिषद ने डॉक्टर के मार्गदर्शन में परीक्षण के आधार पर निवारक उपचार के लिए यह दवा लेने की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि मितली और उलटी को छोड़ कर भारत में हुए अध्ययनों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के किसी प्रमुख दुष्प्रभाव का पता नहीं चला।

यह दवा कोविड-19 के निवारक उपचार के लिए इस्तेमाल की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट सलाह दी गई है कि यह दवा खाली पेट नहीं लेनी चाहिए। परिषद ने इस बात पर भी बल दिया कि उपचार के दौरान एक बार ईसीजी करा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से निपटने के कार्य में लगे अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के लिए भी यह दवा लाभदायक मानी जा रही है।

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