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ग्राम सभाओं के माध्यम से ग्राम स्वराज्य की लक्ष्य सिद्धि का सम्यक संकल्प : आंध्र प्रदेश पंचायती राज मंत्रालय की अनूठी पहल

“भारत का भविष्य उसके गाँवों में निहित है” – महात्मा गाँधी

अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक आज भी हमारे देश की लगभग 63.4% आबादी गाँवों में निवास करती है। इसलिए गाँवों का विकास हमारे राष्ट्र की प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आधारस्तंभ की मानिंद है। गाँवों की उन्नति का रास्ता पंचायती राज प्रणाली एवं ग्राम सभाओं के माध्यम से सुनिश्चित होती है। यह एक सर्वविदित व सर्वमान्य तथ्य है कि लोकतंत्र को व्यवहार में सफल बनाने के लिए, स्थानीय मुद्दों के त्वरित समाधान के लिए, आम नागरिकों के मध्य राजनीतिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए, कल्याणकारी योजनाओं को वास्तविक लाभार्थियों तक पहुँचाने के लिए, और विकास-निधियों के उचित उपयोग के लिए, स्थानीय शासन-सरकार का मजबूत होना जरूरी है। एल. एम. सिंघवी समिति ने पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्राम सभाओं की अपरिहार्यता के बारे में महत्वपूर्ण वक्तव्य जारी करते हुए कहा था कि ‘ग्राम सभा प्रत्यक्ष लोकतंत्र का प्रतीक हैं। जिस पंचायत में आप मतदाता होते हैं, वहाँ सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन आपकी भागीदारी से, आपकी उपस्थिति में और आपसे चर्चा के बाद शुरू होता है। योजनाओं के लाभार्थियों का चयन ग्राम सभा में ही किया जाता है।’

गाँधी जी इस भावना को अत्यंत महत्व दिया करते थे – कि ‘हमारे राष्ट्र की जड़ें, उसकी जीवन शक्ति और मूल सारतत्व हमारे गाँवों में दृढ़ता से टिके हुए हैं।‘ गाँधी जी के ग्राम स्वराज्य की अवधारणा से प्रेरणा लेते हुए गाँवों के समुचित उत्थान हेतु आंध्र प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा 23 अगस्त 2024 को कई नवाचारों की रिकॉर्ड स्तर पर पहल की गई है, जिनका जमीनी स्तर पर यदि पूरी ईमानदारी से क्रियान्वयन सफल रहता है तो ये समस्त कवायदें पूरे देश में पंचायती राज प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए एक नजीर बन सकती हैं। आंध्र प्रदेश अपने यहाँ स्थानीय स्वशासन के स्तर पर पंचायती राज व्यवस्था आरंभ करने वाला राजस्थान के उपरांत देश का दूसरा राज्य रहा है। इस राज्य में कुल 13,326 पंचायतें हैं। आंध्र प्रदेश को तिहत्तरवें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से पंचायतों को संवैधानिक दर्जा दिए हुए तीन दशक से अधिक समय बीत चुकने के उपरांत अब सामयिक आवश्यकताओं के अनुरूप पंचायती राज व्यवस्था में अगली पीढ़ी की अग्रिम सुधारों के माध्यम से पंचायती राज क्रांति के अगले उन्नत चरण के आरंभ पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। पिछले तीन दशकों से आंध्र प्रदेश में छोटी और बड़ी पंचायतों को स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस समारोह के आयोजन के लिए क्रमशः केवल सौ रूपये अथवा ढाई सौ रूपये की नाममात्र राशि ही प्रदान की जाती थी जिसे अब यहाँ के पंचायती राज मंत्रालय ने बढ़ाकर क्रमशः दस हज़ार तथा पच्चीस हज़ार रूपये कर दिए हैं। विगत दिवस को एक साथ आंध्र प्रदेश के समस्त 13,326 पंचायतों में एक दिन में एक साथ रिकॉर्ड स्तर पर ग्राम सभाओं का आयोजन कर कीर्तिमान रचते हुए ग्राम्य सशक्तिकरण के सन्दर्भ में एक अनूठा संदेश देने का प्रयत्न किया गया है। इस दौरान प्रदेश भर में 4,500 करोड़ रुपये से किए जाने वाले विकास कार्यों के माध्यम से 54 लाख परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने, 9 करोड़ व्यक्तियों के लिए कार्य-दिवस उपलब्ध कराने, आदि से सम्बंधित कई प्रस्ताव पारित किये गए। गाँवों की वस्तुस्थिति का अध्ययन (SWOT Analysis) करते हुए उसकी मजबूती, कमजोरी, अवसर एवं संभावित खतरों को अच्छे से समझ कर आगामी प्रस्ताव पारित करने पर बल दिया गया। सूबे के उप-मुख्यमंत्री एवं पंचायती राज सह ग्रामीण विकास मंत्री पवन कल्याण के निर्वाचन क्षेत्र पिठापुरम में सफलतापूर्वक अपनाई गई “स्वच्छ और हरित पिठापुरम” की अवधारणा को पूरे राज्य में आगे बढ़ाने पर बल दिया गया।

गाँधी जी इस भावना को अत्यंत महत्व दिया करते थे – कि ‘हमारे राष्ट्र की जड़ें, उसकी जीवन शक्ति और मूल सारतत्व हमारे गाँवों में दृढ़ता से टिके हुए हैं।‘ गाँधी जी के ग्राम स्वराज्य की अवधारणा से प्रेरणा लेते हुए गाँवों के समुचित उत्थान हेतु आंध्र प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा 23 अगस्त 2024 को कई नवाचारों की रिकॉर्ड स्तर पर पहल की गई है, जिनका जमीनी स्तर पर यदि पूरी ईमानदारी से क्रियान्वयन सफल रहता है तो ये समस्त कवायदें पूरे देश में पंचायती राज प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए एक नजीर बन सकती हैं। आंध्र प्रदेश अपने यहाँ स्थानीय स्वशासन के स्तर पर पंचायती राज व्यवस्था आरंभ करने वाला राजस्थान के उपरांत देश का दूसरा राज्य रहा है। इस राज्य में कुल 13,326 पंचायतें हैं। आंध्र प्रदेश को तिहत्तरवें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से पंचायतों को संवैधानिक दर्जा दिए हुए तीन दशक से अधिक समय बीत चुकने के उपरांत अब सामयिक आवश्यकताओं के अनुरूप पंचायती राज व्यवस्था में अगली पीढ़ी की अग्रिम सुधारों के माध्यम से पंचायती राज क्रांति के अगले उन्नत चरण के आरंभ पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। पिछले तीन दशकों से आंध्र प्रदेश में छोटी और बड़ी पंचायतों को स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस समारोह के आयोजन के लिए क्रमशः केवल सौ रूपये अथवा ढाई सौ रूपये की नाममात्र राशि ही प्रदान की जाती थी जिसे अब यहाँ के पंचायती राज मंत्रालय ने बढ़ाकर क्रमशः दस हज़ार तथा पच्चीस हज़ार रूपये कर दिए हैं। विगत दिवस को एक साथ आंध्र प्रदेश के समस्त 13,326 पंचायतों में एक दिन में एक साथ रिकॉर्ड स्तर पर ग्राम सभाओं का आयोजन कर कीर्तिमान रचते हुए ग्राम्य सशक्तिकरण के सन्दर्भ में एक अनूठा संदेश देने का प्रयत्न किया गया है। इस दौरान प्रदेश भर में 4,500 करोड़ रुपये से किए जाने वाले विकास कार्यों के माध्यम से 54 लाख परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने, 9 करोड़ व्यक्तियों के लिए कार्य-दिवस उपलब्ध कराने, आदि से सम्बंधित कई प्रस्ताव पारित किये गए। गाँवों की वस्तुस्थिति का अध्ययन (SWOT Analysis) करते हुए उसकी मजबूती, कमजोरी, अवसर एवं संभावित खतरों को अच्छे से समझ कर आगामी प्रस्ताव पारित करने पर बल दिया गया। सूबे के उप-मुख्यमंत्री एवं पंचायती राज सह ग्रामीण विकास मंत्री पवन कल्याण के निर्वाचन क्षेत्र पिठापुरम में सफलतापूर्वक अपनाई गई “स्वच्छ और हरित पिठापुरम” की अवधारणा को पूरे राज्य में आगे बढ़ाने पर बल दिया गया।

इस अवसर पर पंचायती राज सह ग्रामीण विकास मंत्री पवन कल्याण ने राज्य के समस्त युवाओं एवं विद्यार्थियों से अपने सम्बंधित ग्राम सभाओं में भाग लेकर ग्राम्य विकास के क्रियाक्लापों में समुचित योगदान देने का विशेष तौर पर आह्वान किया। अपने संबोधनों में उनका मानना रहा कि युवा एवं विद्यार्थी राष्ट्र के उज्जवल भविष्य होने के साथ-साथ अपने-अपने गाँवों एवं कस्बों के भी भविष्यकर्त्ता हैं; स्थानीय समुन्नति की बागडोर भी पूर्णतया उन्हीं के हाथों में है; इसलिए वे अपने विचार, योजनाओं एवं कार्यों से अपने गाँवों का भविष्य बेहतर ढ़ंग से संवार सकते हैं। इस अवसर पर उन्होंने विशेष तौर से ‘नारी शक्ति’ को रेखांकित करते हुए पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की विशेष भागीदारी पर भी बल दिया। उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति महोदया से प्रेरणा ग्रहण करने की बात का जिक्र करते हुए कहा, ‘भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी इस बात की साक्षात मिसाल हैं कि कैसे एक लड़की को शिक्षित करने से न केवल वे स्वयं या उनका परिवार बल्कि पूरा देश बदल सकता है। वे “स्त्री शक्ति” की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करती हैं।’आंध्र प्रदेश सरकार की इन ताजातरीन कवायदों का पहलेपहल तो मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना जान पड़ता है कि ग्राम सभाएँ प्रभावी ढंग से, पारदर्शी रूप से और जवाबदेही के साथ प्रदेश भर में संचालित हो सके! किन्तु इनकी विस्तृत श्रृंखला की अगली कड़ी में साझे भविष्य से जुड़े जन-मुद्दों यथा- जलवायु परिवर्तन, खेल सुविधाओं की आवश्यकता, वाई-फाई (Wifi) सुविधा, जॉब्स एवं नौकरियों की आवश्यकता, महिला सुरक्षा, सीसीटीवी (CCTV), स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं स्वच्छता की उन्नत तकनीकों पर बल, आदि पर बात करते हुए भविष्य के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से नीति-निर्माण एवं ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (GPDP) की रुपरेखा सह क्रियान्वयन को असली अमलीजामा पहनाकर ग्राम स्वराज्य के अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति करना सम्मिलित है।

डॉ. अभिषेक सौरभ(अतिथि शिक्षक, एनसीवेब केंद्र, श्री अरविन्द महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय)(स्वतंत्र समीक्षक, राजनीतिक विश्लेषक ; ईमेल- [email protected])

Article by:Dr. Abhishek Saurabh(A BHU-JNU Alumnus;Guest Faculty, NCWEB Centre, Sri Aurobindo College, University of Delhi, New Delhi)(Independent Critic, Political Analyst, Columnist; Email- [email protected] ; Mo. 7011091782)

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