सरकार जल्द नयी औद्योगिक नीति की घोषणा करेगी। राष्ट्रपति ने कहा कि देश को विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए काफी तेजी से काम चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग 4.0 के मद्देनजर नयी औद्योगिक नीति की घोषणा जल्द की जाएगी।’’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि यह नीति उद्योगों को प्रोत्साहन देने वाली और रोजगार सृजन पर केंद्रित होगी। नयी नीति 1991 की औद्योगिक नीति का स्थान लेगी। 1991 में औद्योगिक नीति भुगतान संतुलन के परिप्रेक्ष्य में बनाई गई थी।
यह तीसरी औद्योगिक नीति होगी। इससे पहले दो बार 1956 और 1991 में औद्योगिक नीति बनाई गई थी। राष्ट्रपति ने कहा कि देश में कंपनियों को कारोबार के अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने के लिए सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी जिससे प्रक्रियाओं को और सुगम किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि पिछले पांच बरस में भारत ने 65 स्थानों की छलांग लगाई है।
2014 में भारत कारोबार सुगमता रैंकिंग में 142वें स्थान पर था जबकि पिछले साल यह 77वें स्थान पर आ गया। उन्होंने ने कहा कि अब कारोबार सुगमता रैंकिंग में हमारा लक्ष्य शीर्ष 50 स्थानों पर आने का है। इसे हासिल करने के लिए राज्यों के साथ सहयोग में नियमों के सरलीकरण की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए कंपनी कानून में जरूरी संशोधन किया जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के उद्यमियों को कर्ज प्राप्त करने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो। उन्होंने कहा कि ऋण गारंटी कवरेज का दायरा बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये किया जाएगा।
देश के निर्यात में एमएसएमई क्षेत्र का योगदान 45 प्रतिशत का है। देश के सकल घरेलू घरेलू उत्पाद में सेवा गतिविधियों के जरिये एमएसएमई का योगदान 25 प्रतिशत है, जबकि देश के विनिर्माण उत्पादन में इस क्षेत्र का योगदान 33 प्रतिशत तक है।
