राजधानी सर्विसेज, अधिकारियों के तबादले व पोस्टिंग करने और एसीबी के गठन का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा या केंद्र सरकार के पास, इस पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है।
दो जजों की पीठ के फैसले के बाद भी मामला अभी पूरी तरह से सुलझा नहीं है, हालांकि कुछ मुद्दों पर जजों ने अपना फैसला साफ किया है।
केंद्रीय कैडर के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर दोनों जजों में मतभेद ही रहा, इसलिए इस मुद्दे को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया है।
इस मसले पर जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने सुनवाई की है। इससे पहले सभी पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने तीन माह पहले यानी एक नवंबर को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। सबसे पहले जस्टिस एके सीकरी ने अपना फैसला पढ़ा।
दिल्ली में जमीन, पुलिस और कानून व्यवस्था से जुड़े सभी अधिकार केंद्र सरकार यानी उपराज्यपाल के पास ही रहेंगे। हालांकि, ये अभी अंतिम फैसला नहीं है क्योंकि दो जजों की बेंच में मतभेद होता दिख रहा है।
जस्टिस सीकरी ने अपने फैसले में कहा कि किसी अफसर की नियुक्ति या फिर ट्रांसफर को लेकर उपराज्यपाल राज्य सरकार के मंत्रिमंडल की सलाह पर फैसला ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि आईपीएस की ट्रांसफर-पोस्टिंग का हक उपराज्यपाल, और ष्ठ्रहृढ्ढष्टस्-ष्ठ्रहृढ्ढक्कस् का फैसला मुख्यमंत्री के पास रहेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि ष्ठ्रस्स् और ष्ठ्रहृढ्ढष्टस् के अधिकारियों के मुद्दे पर एक कमेटी का गठन किया जा सकता है।
