पाकिस्तान वायुसेना के लड़ाकू विमान एफ-16 को धवस्त करने वाला भारतीय वायु सेना का मिग -21 बाइसन फाइटर जेट वियतनाम युग के सोवियत जेट का एक अपग्रेड वर्जन है। पाकिस्तान का एफ-16 विमान अमेरिका द्वारा बनाया गया है। इसके बावजूद भारतीय वायुसेना का विमान मिग-२१ बाइसन ने एफ-16 को मार गिराया है।
दरअसल बुधवार सुबह 10.05 बजे पाकिस्तानी वायुसेना के तीन एफ-16 विमानों ने भारतीय वायुसीमा का उल्लंघन किया और नौशेरा सेक्टर में घुस गए।
उनके निशोन पर चार भारतीय सैन्य ठिकान थे। जहां बम गिराए गए लेकिन पहले से हाई अलर्ट पर रही भारतीय वायुसेना ने त्वरित कार्रवाई कर कैप ड्यूटी पर तैनात दो मिग-21 विमानों ने एफ-16 विमानों का पीछा किया और एक को मार भी गिराया।
पीछा कर हमले के दौरान हमारा एक विमान मिग-२१ गवां दिया और हमारा एक पायलट लापता हो गया।
भारतीय वायुसेना का विमान मिग-21 के सामने किसी भी मामले में पाकिस्तानी विमान एफ-16 ठिकी नहीं पाता है।
वायुसेना में 55 साल पहले शामिल हुआ मिग-21
रूस और चीन के बाद भारत मिग-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। 1964 में इस विमान को पहले सुपरसॉनिक फाइटर जेट के रूप में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया। विमान ने 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध समेत कई अहम मौकों पर अहम भूमिका निभाई है। रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडिड वेरिएंट का इस्तेमाल करता आ रहा है। सितंबर, 2018 तक वायु सेना के पास तकरीबन 120 मिग-21 विमान थे। इन्हें 2021-22 तक सेवा से बाहर कर दिया जाएगा।
लेकिन इस बात पर कई सवाल उठ रहे है कि कैप ड्यूटी के लिए मिग-21 विमानों का प्रयोग किया ही क्यों जा रहा था? मिग-21 विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाओं के चलते इसे उड़ता कफन (फ्लाइंग कॉफिन) तक नाम दे दिया गया था।
एक विमान की कीमत 177 करोड़ रुपए
मिग-21 सोवियत संघ का प्रोडक्ट है। इस फाइटर प्लेन का जब निर्माण शुरू हुआ तब इसकी कीमत तकरीबन 20 करोड़ रुपए (29 लाख डॉलर) थी। मौजूदा समय में इसकी कीमत 177 करोड़ रुपए (25.1 अरब डॉलर) है।
आईए जानते है मिग-21 की कुछ रौचक बातें
साल 2006 में 110 मिग-21 को अपग्रेड किया गया था। इसे अपग्रेड करके इसे शक्तिशाली मल्टी-मोड रडार, बेहतर एवियोनिक्स और संचार प्रणालियों से लैस किया गया।
अपग्रेड होने के बाद मिग -21 बाइसन एक सक्षम आधुनिक फाइटर जेट में बदल गया, जो पाकिस्तानी लड़ाकू विमान एफ-16 का सामना कर सकता है।
मिग-21 बाइसन के पायलटों को रात के अंधेरे में दिखने वाली डिवाइस के साथ हेलमेट पहनना होता है। यह सुविधा एडवांस लड़ाकू विमान मिराज-2000 में होती है।
मिग -21 बहुत बड़ा विमान नहीं है। उच्च गति में, कम ऊंचाई से दुश्मन के विमानों तक चुपके से पहुंचने की संभावना है। इसमें मिराज 2000 और एलसीए तेजस के समान एक डेल्टा विंग है, जो इसे डॉगफाइट्स में अत्यधिक युद्धाभ्यास बनाता है।
पाकिस्तान के साथ साल 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के मिग-21 विमान का इस्तेमाल देखने को मिला।
मिग -21 का इस्तेमाल उत्तरी वियतनाम की विशाल वायुसेना द्वारा किया गया था, जिसने 1960 के दशक में वियतनाम युद्ध के दौरान अधिक उन्नत अमेरिकी वायु सेना के विमानों का सामना किया था।
भारत ने मिग-21 खरीदने के लिए 1962 में सोवियत संघ के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और अगले साल से ये विमान भारत को मिलने शुरू हो गए।
