वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडिस का मंगलवार को निधन हो गया। वह 88 साल के थे। पारिवारिक सूत्रों ने उनके निधन की पुष्टि की है।फर्नांडिस लंबे समय से बीमार चल रहे थे, परिवार ने बताया कि फर्नांडिस अल्जाइमर से पीड़ित थे और हाल ही में उन्हें स्वाइन फ्लू हो गया था। स्वास्थ्यगत कारणों के चलते वह लंबे समय से सार्वजनिक जीवन से बाहर थे। अंतिम संस्कार कल किया जाएगा। इमरजेंसी के दौरान जेल में जॉर्ज कैदियों को श्रीमद्भागवतगीता पढ़कर सुनाते थे। वह मंत्री रहते हुए रिकॉर्ड 30 बार से ज्यादा सियाचिन के दौरे पर गए।
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में जॉर्ज फर्नांडिस रक्षा मंत्री रहे। वह 1998 से 2004 के बीच देश रक्षा मंत्री रहे। 2004 में ताबूत घोटाला सामने आने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। बाद में दो अलग-अलग कमिशन ऑफ इन्क्वायरी में उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया था। राज्यसभा सांसद के तौर पर संसद में उनका आखिरी कार्यकाल अगस्त 2009 से जुलाई 2010 तक था।
3 जून, 1930 को जन्मे जॉर्ज फर्नांडिस 10 भाषाओं के जानकार थे- हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, मराठी, कन्नड़, उर्दू, मलयाली, तुलु, कोंकणी और लैटिन। उनकी मां किंग जॉर्ज फिफ्थ की बड़ी प्रशंसक थीं। उन्हीं के नाम पर अपने छह बच्चों में से सबसे बड़े का नाम उन्होंने जॉर्ज रखा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फर्नांडीस के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “जॉर्ज साहब भारत के सर्वश्रेष्ठ राजनेताओं का प्रतिनिधित्व करते थे। वे निडर और दूरदर्शी थे। गरीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों की वह सबसे असरदार आवाज थे। जब मैं उनके बारे में सोचता हूं तो एक साहसी ट्रेड यूनियन नेता की छवि उभरती है जो इंसाफ के लिए लड़ा।
कुछ अनछुए पहलू
1967 में पहली बार सांसद बने
3 जून 1930 को जन्मे जॉर्ज भारतीय ट्रेड यूनियन के नेता थे। वे पत्रकार भी रहे। वह मूलत: मैंगलोर (कर्नाटक) के रहने वाले थे। 1946 में परिवार ने उन्हें पादरी का प्रशिक्षण लेने के लिए बेंगलुरु भेजा। 1949 में वह बॉम्बे आ गए और ट्रेड यूनियन मूवमेंट से जुड़ गए। 1950 से 60 के बीच उन्होंने बॉम्बे में कई हड़तालों की अगुआई की।
फर्नांडीस 1967 में दक्षिण बॉम्बे से कांग्रेस के एसके पाटिल को हराकर पहली बार सांसद बने। 1975 की इमरजेंसी के बाद फर्नांडीस बिहार की मुजफ्फरपुर सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे। मोरारजी सरकार में उद्योग मंत्री का पद दिया गया था। इसके अलावा उन्होंने वीपी सिंह सरकार में रेल मंत्री का पद भी संभाला। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार (1998-2004) में फर्नांडीस को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। कारगिल युद्ध के दौरान वह ही रक्षा मंत्री के पद पर काबिज थे।
1974 में बुलाई थी रेल हड़ताल
1974 में ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन के अध्यक्ष रहते हुए फर्नांडीस ने बड़ी रेल हड़ताल बुलाई थी। बंद का असर यह हुआ कि देशभर की रेल व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई। हड़ताल को कई ट्रेड यूनियनों, बिजली और परिवहन कर्मचारियों ने भी समर्थन दिया था।
8 मई 1974 को शुरू हुई हड़ताल के बाद सरकार ने इसे रोकने के लिए कई गिरफ्तारियां की। एम्नेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने विरोध को कुचलने के लिए हड़ताल में शामिल 30 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था।
9 लोकसभा चुनाव जीते
1967 से 2004 तक 9 लोकसभा चुनाव जीते। इमरजेंसी में सिखों की वेशभूषा में घूमते थे और गिरफ्तारी से बचने के लिए खुद को लेखक खुशवंत सिंह बताते थे।
2003 में विपक्ष ने कैग का हवाला देते हुए जॉर्ज पर ताबूत घोटाले के आरोप लगाए। जॉर्ज ने चुनौती देते हुए कहा, “अगर आप (विपक्ष) ईमानदार हैं, तो कल तक मुझे सबूत लाकर दें। मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं।” अक्टूबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने फर्नांडीस को कारगिल ताबूत घोटाले में पूरी तरह निर्दोष करार दिया।
कैदियों को श्रीमद्भागवतगीता सुनाते थे
फर्नांडीस को इमरजेंसी के दौरान बड़ौदा डाइनामाइट केस में गिरफ्तार किया गया था। जेल में रहने के दौरान वह कैदियों को श्रीमद्भागवतगीता पढ़कर सुनाते थे।
फर्नांडीस ने बतौर रक्षा मंत्री रिकॉर्ड 30 से ज्यादा बार सियाचिन ग्लेशियर का दौरा किया। दिल्ली का 3, कृष्ण मेनन मार्ग उनका निवास था। यहां न कोई गेट था और न ही कोई सुरक्षाकर्मी तैनात रहता था।
