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CAA के लिए धन्यवाद अब उपद्रवियों पर कार्यवाही करिए माननीय गृहमंत्री जी : देश का आम नागरिक

आदरणीय गृहमंत्री जी,

नागरिकता संशोधन अधिनियम को पास करवाने तत्पश्चात् लागु करने के लिये आपकी दूरदृष्टी, हिम्मत और मानवतावादी सोच के लिये हम सब आपके आभारी रहेंगे।

वो आतंक की राते कैसे गुजरती होगी जब पाकिस्तान का एक हिदु परिवार इस भय में जीता होगा—पता नहीं कब उनकी जवान बेटी का अपहरण कर, उसका बलात्कार हो जाऐ, और उसका ज़बरदस्ती धर्मांतरण कर किसी मुस्लिम से निकाह कर दिया जाऐ? विरोध करने पर जवान बेटे और उनके पिता की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी जाऐ। सत्तर साल से ज़्यादा गुजर गये, कुछ इसी तरह से पाकिस्तान का 20% हिंदु ग़ायब होता चला गया, या तो उनका बलपूर्वक धर्मांतरण हो गया या विरोध करने पर उनकी हत्या कर दी गई। जो किसी तरह से जान बचाकर भारत आ गये उनकी ज़िंदगी किसी तरह से बस यूँ ही चल रही थी।

ये अधिनियम बहुत पहले लागु होना चाहिये था, ख़ैर। मोदी सरकार द्वारा लागु किया गया ये अधिनियम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आऐ हुऐ प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है जो अब तक शरणार्थी शिविरों में किसी तरह से अपनी ज़िंदगी काट रहे थे। हर समझदार भारतीय इस अधिनियम का पुरज़ोर समर्थन करता है, क्योंकि वह जानता है कि “नागरिकता संशोधन अधिनियम” भारत के किसी भी नागरिक के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है।

दुख की बात ये है कि इस देशव्यापी समर्थन के बावजूद भी, कुछ संगठनों ने अपने निहित स्वार्थ के लिये, एक षड्यंत्र के तहत लोगों को ग़लत जानकारी देकर बरगलाते हुऐ, हिंसा और दंगा करने के लिये भड़काया। और इस आगजनी को “लोगो का विरोध” कहकर प्रस्तुत करने की कोशिश की।

हमे दिल्ली, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों की पुलिस पर गर्व है, जिन्होंने कानुन और व्यवस्था को बनाऐ रखने के लिये ठोस कदम उठाऐ। सोशल मीडिया पर लोगों ने देखा पुलिस बल के लिये इन दंगाईयों को रोकना किसी विशाल चुनौती से कम नहीं था। सिर्फ़ उत्तर प्रदेश के लगभग साठ पुलिसकर्मीयो को गोली मारकर घायल करना, उनके विरुद्ध हिंसा और आगज़नी करना “विरोध करने का तरीक़ा” तो बिलकुल नहीं था बल्कि ये पुलिस बल के विरुद्ध एक भयानक अपराध था जिसे किसी भी सरकार को बर्दाश्त नहीं करना चाहिये।

मीडिया में ऐसी खबर आ रही है कि दिल्ली के वक़्फ़ बोर्ड ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ दंगा करने वाले दंगाईयों को क़ानूनी सहायता देने का ऐलान किया है, ये पत्र उसी खबर के संदर्भ में हैं। वक्फ बोर्ड एक सरकारी संस्था है। क्या एक सरकारी संस्था कर दाता के पैसों का उपयोग उन दंगाईयों को मदद करने के लिये कर सकता है, जिसने हिंसा और आगज़नी कर सरकारी संपत्ति का नुक़सान किया और पुलिसकर्मी पर हमला किया? वक़्फ़ बोर्ड होने का औचित्य क्या है? ये अपनेआप में ही एक बहुत बड़ा सवाल है। क्या मुसलमान ही एकमात्र समुदाय है जिसे हर तरह की मदद और सरकारी अनुदान की ज़रूरत पड़ती है? क्या पारसी, जैन और सिखों के सरकारी अनुदान की ज़रूरत नहीं पड़ती? उन हिंदुओं को मदद की ज़रूरत नहीं पड़ती जिनको कभी याद ही नहीं किया जाता।

भारत की दूसरी सबसे बड़ी बहुसंख्यक आबादी को हिंसा, आगज़नी और आतंकवाद से रोकने के लिये वक्फ बोर्ड ने अब तक कौन से कदम उठाऐ हैं? रोकना तो बहुत दूर की बात है, वक्फ बोर्ड खुलेआम ऐसे अपराधियों की मदद करने का ऐलान कर रहा है। एक ज़िम्मेदार नागरिक के रुप में मैं बहुत व्यथित हूँ कि वक़्फ़ बोर्ड ने ऐसे दंगाईयो को क़ानूनी सहायता देने का ऐलान किया है जिसने पुलिसकर्मी के विरुद्ध हिंसा और आगज़नी को अंजाम दिया और सरकारी संपत्ति को नुक़सान पहुँचाया। मैं आपसे गुहार करती हूँ, आप इस मामले की जाँच करें और करदाता के पैसों का दुरूपयोग होने से बचाऐ।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री, श्री नकवी द्वारा दिया गया बयान बहुत चिंताजनक है। क्या उन्हें मेरठ की स्थिति के बारे में जानकारी नहीं थी? अगर नहीं थी तो जानने की कोशिश भी नहीं की? या ऐसे बयान उन्होंने जानबुझकर दिये हैं? क्या नकवी ये कहना चाहते हैं कि पुलिस को निष्क्रिय रुप से पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे बर्दाश्त कर लेने चाहिये?

अगर ये मंत्रालय सिर्फ़ अल्पसंख्यकों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, नाकी सिर्फ़ मुस्लिम समुदाय के हितों को उपर रखा गया है, तो जैन और पारसी समुदाय के प्रतिनिधि इस मंत्रालय में क्यो नहीं होते हैं?

एक ज़िम्मेदार नागरिक के रुप में भारत के प्रति आपकी प्रतिबद्धता पर पूरा विश्वास है। वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य जो दंगाइयों को क़ानूनी सहायता प्रदान करने का ऐलान करते हैं और नकवी जैसे मंत्री जो ऐसी बयानबाज़ी करते हैं वो वास्तव में देश के पुलिस के मनोबल पर प्रहार कर रहे हैं। ऐसे मुद्दे पर नकवी जैसे मंत्री को देश से माफ़ि माँगनी चाहिये। साथ ही वक़्फ़ बोर्ड को इस ज़िम्मेदारी का ऐहसास कराया जाना चाहिये कि पहले वो इस देश के ज़िम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभाऐ, उसके बाद वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य होने का।

मेरी आपसे निवेदन है, ऐसे व्यक्ति और ऐस ग्रुप के प्रति ठोस कदम उठाऐ जो राष्ट्र की संपत्ति को जलाने वाले दंगाईयों और अपराधियों को मदद पहुँचाने का ऐलान कर देश की सुरक्षा बलो के मनोबल पर चोट करता हो।

आप करोड़ों भारतीय के प्रेरणास्त्रोत हैं, हम सब आपके इस साहस के लिये आभारी हैं।

Hindi translation by Manisha Inamdar and Amit Pandey.

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