पूर्वांचल में शिक्षा की नगरी कही जानें वाली गोरखपुर विश्वविद्यालय में 21 जुलाई को हुए बवाल ने थमने की जगह ज्वाला का रुप ले लिया है। एक तरफ जहां विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से निष्कासन और एफआईआर दर्ज करवाने का सिलसिला जारी है तो दूसरी तरफ विद्यार्थी परिषद भी पूरे लड़ाई के मूड में दिखाई दे रही है।
फीस वृद्धि और विश्वविद्यालय में व्याप्त तमाम असुविधाओं के खिलाफ विद्यार्थी परिषद के आंदोलन और फिर हुए लाठीचार्ज में अब तक 22 छात्रों पर विभिन्न धाराओं में केस दर्ज करवाया गया है। इसके अलावा दो अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी मामला दर्ज करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस प्रशासन को पत्र लिखा था। इनके अलावा 24 जुलाई को 10 छात्रों और 28 को 18 छात्रों का निष्कासन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किया गया जिसको लेकर विद्यार्थी परिषद विश्वविद्यालय के सामने चुनौती बनकर खड़ी हो गई है।
गरीब छात्रों के लिए फीस वृद्धि सपनों के कत्ल के समान
विश्वविद्यालयों में लगातार हो रहे फीस वृद्धि कहीं ना कहीं उन तमाम विद्यार्थियों के सपनों को मारने जैसा है जो छोटे से गांव या कस्बे से उठकर इन शैक्षणिक संस्थानों में अपने सपनों को साकार करने आते हैं। विद्यार्थी परिषद का कहना है कि वो दीन दयाल उपाध्याय जी के सपने सब के लिए मुफ्त और अच्छी शिक्षा के लिए संघर्ष करते रहेंगे। अभाविप गोरक्ष प्रांत मंत्री सौरभ गौड़ ने बताया कि शनिवार को विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने राज्यसभा सांसद डॉ राधा दास मोहन से मुलाकात करके विश्वविद्यालय में व्याप्त तमाम समस्याओं को उनके सामने रखा है और आगे भी तमाम जन प्रतिनिधियों से मुलाकात करके उनके समक्ष इस मामले को गंभीरता से रखा जाएगा।
क्या कहते हैं विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारी
इस मामले में गोविवि के पूर्व इकाई मंत्री एवं वर्तमान में प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य संजीव त्रिपाठी “पवन” ने कहा एक तरफ जहाँ केंद्र सरकार छात्रों को नई शिक्षा नीति के तहत स्किल एवं उच्च शिक्षा दर के बढ़ावे पर जोर दे रही वहीं गोरखपुर विश्वविद्यालय लगातार फीस वृद्धि कर विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित करने पर तुला हुआ है।कुलपति को बताया जिल्ले-लाही कहा लट-लाठी ,बट-बूट से हम डरने वाले नहीं ,न्याय मिलने तक लड़ते रहेंगे ।
इस पूरे मामले पर विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य नवनीत शर्मा ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय के मुख्य नियंता (Chief Proctor) डा. सत्यपाल सिंह की विश्वविद्यालय में Associate Professor के पद पर नियुक्ति को अभी 6 माह भी नहीं हुए हैं, जो अभी प्रोबेशन पीरियड में चल रहे हैं, उन्हें प्रबंधन विभाग का विभागाध्यक्ष एवं मुख्य नियंता किस आधार पर बनाया गया है, जो इस पूरे घटनाक्रम के मुख्य दोषी हैं।
इनके विभाग में MBA के 54 में से 15 विद्यार्थी पूर्ण रूप से अनुत्तीर्ण (fail) तथा शेष बस पासिंग मार्क्स पाए हैं, इस विभाग में एक एक कॉन्ट्रैक्ट के शिक्षक डॉ राजेश सिंह द्वारा विभागाध्यक्ष के संरक्षण में ऐसा किया गया है।
इसका जवाब गोरखपुर विद्यालय को देना चाहिए।
इस इस पूरे मामले पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद गोरक्ष प्रांत के मंत्री सौरभ गौड़ ने बताया कि परिषद द्वारा लगातार विश्वविद्यालय में व्याप्त तमाम अनियमिताओं को लेकर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा जा रहा था , पिछले एक – डेढ़ महीने से अभाविप लगातार छात्रों की मांगों को प्रशासन के सामने रख रहा था लेकिन प्रशासन द्वारा इसको पूरी तरह से नजर अंदाज किया गया विश्वविद्यालय में हुई फीस वृद्धि ने छात्रों के सामने चुनौती खड़ी कर दी है क्योंकि दूर दराज के गांवों से आने वाले विद्यार्थी के पास आर्थिक कठिनाईया होती है। उन्होंने आगे कहा कि आज विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को लगातार परेशान किया जा रहा है फिर भी विद्यार्थी परिषद लगातार इन छात्रों के मुद्दों को उठाता रहेगा।
