Entertainment

मणिकर्णिका : द कवींन ऑफ़ झाँसी

26/01/2019 MUMBAI ( FILM WRITER & DIRECTOR SAHIL B SRIVASTAV ) सदी के  महानायक अमिताभ बच्चन के नेरेशन द्वारा फिल्म के प्रारम्भ होते ही फिल्म जीवंत लगने  लगती हैं  मणिकर्णिका: क्वीन ऑफ झांसी के  संगीत शंकर एहसान लॉय ग्नाना शेखर वीएस की सिनेमैटोग्राफी मन को मोह लेती हैं प्रसून जोशी के गीत मैं रहूँ रहू भारत रहना चाहिए दिल को छू लेती हैं इस फिल्म का  निर्देशन कंगना और कृष ने किया है  कलाकार–  कंगना रनौत, अंकिता लोखंडे, जिस्सू सेनगुप्ता, डैनी डेन्जोंगपा, मोहम्मद जीशान अयूब, सुरेश ओबेरॉय, कुलभूषण खरबंदा अन्य

18 जून 1858 में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लड़ते हुए प्राण त्याग कर भारत माँ के लिए सदा के लिए अमर हो गई भारत के आज़ादी की लड़ाई की चिंगारी का बिगुल फुकने वाली मणिकर्णिका उर्फ़ मनु : झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई पर आयी बायोपिक  बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत की फिल्म मणिकर्णिका: क्वीन ऑफ झांसी २५ जनवरी २०१९ दुनिया भर के  सिनेमाघरों  बड़ी धूम धाम से रिलीज हो गई है  २६ जनवरी गड्तंत्र  दिवश के एक दिन पहले  फिल्म रिलीज होने से फिल्म के बिज़नस में सोने पर सुहागा  साबित हो रही हैं

इस फिल्म का  निर्देशन कंगना और कृष ने किया है  फिल्म को मनोरंजन के दृष्टि कोण से देखना हैं तो फिल्म आकर्षक रोमंचक भवनात्मक एक्शन प्रधान फिल्म का जज्बा हर पल महसूस होता हैं लेकिन इतिहास के  सही तथ्यों को जोड़ कर देखने पर फिल्म कही आपको निराशा प्रदान करेगी साथ ही साथ ये तो ऐतिहासिक फिल्म रह जाती हैं , ही इसमें बायोपिक वाला जज्बा ही लगता हैं 

INDSAMACHAR

 

झांसी  की रानी की कहानी से सभी भारतीय रूबरू  हैं आज की युवा पीढ़ी शायद इस वीरांगना के बारे में वीरता से सह तरह से परिचित ना हो फिल्म  के रुपहले पर्दे पर फिल्म देख कर उनके मन मस्तिक में अमिट छाप छोड़ देती हैं फिल्म के लेखक टीम द्वारा अनुसन्धान की कमियां दर्शाती हैं शायद येही वजह रही हो फिल्म के शरू होते ही फिल्म के परदे पर एक डिस्क्लेमर लिखा हुआ जाता जबकि बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने जिस झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की कहानी सुनी थी, उसे सिनेमायी परदे पर साकार होते देखना एक विस्मित और रोमांचित करने वाला अनुभव हो सकता था, होना चाहिए था। पर एक सधी हुई शुरुआत करने के बाद फिल्म निर्देशक के हाथ से इस तरह फिसली है कि वह अंत तक उसे संभाल नहीं पाता।

INDSAMACHAR

कंगना की दमदार अदाकारी भी नहीं। फिल्म के अंत के फिल्माकन अधुरा सा लगता हैं इतिहास को नज़रंदाज़ किया गया ये भी फिल्म के निर्देशक लेखक  के लिए प्रश्नचिंह हैं जबकिझाँसी क्रांति की काशीकिताब लिखने वाले इतिहासकार ओम शंकर असर के मुताबिक, ये देख रानी ने गोली मारने वाले अंग्रेज सैनिक को पलक छपकते ही तलवार से मार गिराया। तभी कई अंग्रेजी सैनिकों ने रानी को घेर लिया और महारानी के सिर पर वार किया।
रानी के चेहरे का दाहिनी आंख तक कट गई और गहरे जख्म होने की वजह से खून बहने लगा। फिर भी उन्होंने आगे बढ़ने की कोशिश की और नाला पार किया। इसी दौरान उनके बाईं ओर से चलाई गई गोली सीने में प्रवेश कर गई। गोली लगने से वो घोड़े की पीठ पर ही बेहोश हो गईं। वो घोड़े पर ही खून से लथपथ पड़ीं थीं। उनके अंगरक्षक गुल मोहम्मद पठान बाद में रानी को गंगादास के आश्रम ले गए। यहीं वीरांगना ने प्राण त्याग दिए। बाबा  रामचन्द्र राव ने महारानी के मुख में गंगाजल डाला था। गंगादास बाबा के आश्रम पर जो घास का ढेर और लकड़ियां थीं। इन्हीं से रानी का अंतिम संस्कार हुआ।

अगले दिन 18 जून को सुबह करीब 9 बजे जब अंग्रेज अफसरों को इसकी सूचना मिली, तो वो गंगादास की कुटिया पहुंचे। तब उन्होंने 18 जून, 1858 को रानी की शहादत की घोषणा की गयी फिल्म की बेहतरीन द्रश्य बन सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया जबकि सोहराब मोदी की १९५३ में बनी फिल्म झाँसी की रानी फिल्म में  ने इस द्र्श्य  को सही तरह से फिल्माया गया हैं उस जमाने में इस फिल्म को ब्लैक एंड वाइट  एंड कलर  दोनों में फिल्म प्रदर्शन हुई उसके साथ ही साथ उसी फिल्म को इंग्लिश में टाइगर ऑफ़ फ्रेम नाम से भी फिल्म रिलीज की गयी ससे बड़ी सुपर हिट फिल्म साबित हुई उस फिल्म का अनुसन्धान और सवांद एक दम सटीक हैं  इस फिल्म का जिक्र करना जरुरी हैं

 

फिर भी फिल्म की  कहानी मणिकर्णिक बनारस में जन्मी मणिकर्णिका (कंगना रनौट) के पिता बिठूर के पेशवा के यहां काम करते हैं। वहां वह तांत्या टोपे (अतुल कुलकर्णी) जैसे वीरों की सोहबत में तलवारबाजी, घुड़सवारी जैसे तमाम युद्ध कौशल सीखती है। एक दिन झांसी रियासत के दीक्षित जी (कुलभूषण खरबंदा) मणिकर्णिका को शेर का शिकार करते वक्त उसकी वीरता देखते हैं और उसे झांसी की बहू बनाने की बात तय कर लेते हैं। शीर्घ ही मणिकर्णिका का विवाह झांसी नरेश गंगाधर राव (जिशु सेनगुप्ता) से हो जाता है। सदाशिव (मोहम्मद जीशान अय्यूब) गंगाधर राव के परिवार से होते हुए भी अंग्रेजों का भेदी है। अंग्रेज हर कीमत पर झांसी पर अधिकार करना चाहते हैं पर मणिकर्णिका यानी लक्ष्मीबाई साफ कह देती हैं,‘मैं मेरी झांसी नहीं दूगी।इसके बाद शुरू होता है साजिशों, हमलों और बचाव का दौर। झांसी को अंग्रेजों से बचाने की कवायद में मणिकर्णिका का साथ देते हैं झलकारी बाई (अंकिता लोखंडे), गुलाम गौस खान (डैनी डेंजॉन्गपा) और संग्राम सिंह (ताहिर शब्बीर)

मणिकर्णिका के निर्देशन की बात करे तो फिल्म का लेखननिर्देशन में लचर कंगना रनौत ने जब अपनी पिछली फिल्मसिमरनके लेखन में हाथ आजमाया था, तो बात कुछ बनी नहीं थी। इस बार उन्होंने फिल्ममणिकर्णिकाके निर्देशन में हाथ आजमाया है। इस बार भी नतीजा वही रहा है।  कंगना रनौत बेतरीन एक्ट्रेस हैं  उनकी एक्टिंग कमाल का हैं फिल्म के रुपहले परदे पर मणिकर्णिका : झाँसी की रानी के किरदार को जीवंत कर दिया फिल्म कही भी कंगना रनौत नहीं लगती हैं फिल्म के पहले फ्रेम से लास्ट फ्रेम तक सिर्फ सिर्फ मणिकर्णिका ही लगती हैं फिल्म का ये ही प्लस पॉइंट हैं और फिल्म के एक्शन सीन ने जीवंत कर दिया युद्ध द्रश्य जीवंत हैं  हैं फिल्म   इसकी कहानी और गीत लिखे हैं प्रसून जोशी ने, जिन्हें शब्दों की जादूगरी के लिए जाना जाता है। स्क्रीनप्ले लिखा है के. वी विजयेंद्र प्रसाद ने, जोबाहुबली: दि बिगनिंग’, ‘बाहुबली: दि कन्क्यूजनऔररांझणाजैसी फिल्मों का स्क्रीनप्ले लिख चुके हैं। पर ये दोनों ही इस बार बुरी तरह असफल रहे हैं फिल्म की पटकथा में मणिकर्णिका के किरदार को छोड़ अन्य किरदार को सही तरीके से फोकस नहीं किया गया जबकि सभी किरदार अपने आप में महत्वपूर्ण हैं  फिल्म के सवांद वो जान नहीं हैं कुछ सवांद तो सोहराब मोदी के फिल्म झाँसी की रानी की लाइन टू  लाइन हैं

उनके पति की भूमिका निभा रहे राजा गंगाधर राव की जिशु सेनगुप्ता के साथ उनकी कोई केमिस्ट्री विकसित ही नहीं हो पाती। इतिहास की बात करे तो गंगाधर राव और मणिकर्णिक के उम्र  १४ वर्ष की रही कंगना कही से भी इस उम्र में नहीं दिखती हैं जिसे मणिकर्णिका का लक्ष्मी बाई तक बनने तक के सफर  में भावनात्मक  प्रसंग नहीं उमड़ नहीं पता हैं  जबकि फिल्म और भी खुबसुरत लगती और जिशु ही क्यों, किसी भी किरदार के साथ उनकी केमिस्ट्री विकसित नहीं हो पाती।

फिल्म का एक गीतडंकिला’, जो कि झलकारी बाई बनी अंकिता लोखंडे और खुद कंगना पर फिल्माया गया है, अनावश्यक लगता है और फिल्म की प्रकृति के साथ बिल्कुल मेल नहीं खाता फिल्म में इस गाने के प्रयोग से दर्शकों को उलझन पैदा कर देती हैं

मोहम्मद जीशान अय्यूब सदाशिव राव की किरदार को सही तरह से विकसित भी नहीं किया  इतने उम्दा  कलाकार के करने के लिए भी फिल्म में कुछ नहीं रहा  राजगद्दी के लिए बगावत करने के बाद उनका किरदार सदाशिव जब देखता है कि झांसी तो पूरी तरह नष्ट हो गई, तो वह अंग्रेज अधिकारी ह्यू रोज (रिचर्ड कीप) से पूछते हैं, ‘ये तो सब कुछ खत्म हो गया। अब मैं राज किस पर करूंगा?’ इस तरह के संवाद उन्हें हंसी का पात्र बनाते हैं, जबकि इस सदा शिव राव किरदार से लोगों को घृणा होनी चाहिए थी लेकिन वो नहीं होती हैं फिल्म का जो सबसे कमजोर पहलु हैं

फिल्म की कहानी मणिकर्णिका : : क्वीन ऑफ झांसी

फिल्म की कहानी मणिकर्णिका (कंगना रनौत) के जन्म से शुरू होती है. कंगना बचपन से शस्त्र चलाने में बेहद ही निपुण हैं. उनकी इसी योग्यता को देखकर झांसी के राजा गंगाधर राव (जिस्सू सेनगुप्ता) का रिश्ता आता है और उनकी शादी हो जाती है. शादी के बाद उनका नामलक्ष्मीबाईहो जाता है. सबकुछ ठीक चलता है. रानी लक्ष्मीबाई झांसी को उसका उत्तराधिकारी देती है, जिसका नाम होता हैदामोदर दास राव‘. लेकिन मात्र 4 महीने की उम्र में उनका निधन हो जाता है. इसके बाद गंभीर बीमारी से उनके पति का भी निधन हो जाता है. बच्चे और पति के निधन होने की वजह से अंग्रेज झांसी को हड़पने की कोशिश करते हैं. अपने राज्य को बचाने के लिए रानी लक्ष्मीबाई झांसी के गद्दी पर बैठती हैं और ऐलान करती हैं कि झांसी किसी को नहीं देंगी. इसके बाद रानी लक्ष्मीबाई कैसे युद्ध लड़ती हैं और कैसे अपनी मातृभूमि के लिए शहीद होती हैं, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी. वैसे विस्तार से फिल्म की कहानी आपको देखनेसुनने के बाद ही समझ आएगी.पीरियड फिल्मों में दिलचस्पी रखने वालों के लिए फिल्म फरफेक्ट है. फिल्म में भरपूर मात्रा में एक्शन है. कंगना का रौद्र रूप देखने को मिला. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक बेहद ही शानदार है, जिसकी वजह से एक्शन सीन्स में जान आती है. कंगना पूरी फिल्म में जोश से भरी हुई नजर आईं. मूवी का कैमरा और वीएफएक्स अच्छा है. फिल्म इंस्पायरिंग है.

मणिकर्णिका : : क्वीन ऑफ झांसी  कंगना के लुक्स उनकी फिल्म में एंट्री से लेकर और खत्म होने तक कंगना गजब की खूबसूरत लगती हैं. डैनी डेन्जोंगपा और मोहम्मद जीसान अयूब ने गजब की अदाकारी की है. फिल्म के संवाद देशभक्ति के जज्बे भरे हैं और डायलॉग भी अच्छे हैं. फिल्म के सेट्स पर काफी काम किया गया है

( फिल्म लेखक व् निर्देशक साहिल बी श्रीवास्तव की कलम )

 

News is information about current events. News is provided through many different media: word of mouth, printing, postal systems, broadcasting, electronic communication, and also on the testimony of observers and witnesses to events. It is also used as a platform to manufacture opinion for the population.

Contact Info

West Bengal

Eastern Regional Office
Indsamachar Digital Media
Siddha Gibson 1,
Gibson Lane, 1st floor, R. No. 114,
Kolkata – 700069.
West Bengal.

Office Address

520, Asmi Industrial Complex, Near Ram Mandir Railway Station, Goregaon West, 400104, Mumbai, Maharashtra.

Download Our Mobile App

IndSamachar Android App IndSamachar IOS App
To Top
WhatsApp WhatsApp us