पड़ोसी पहले की नीति पर आगे बढते हुए पीएम मोदी अपने पहले विदेश दौरे के तहत मालदीव और श्रीलंका जाएंगे. वह 8 जून को मालदीव और 9 जून को श्रीलंका का दौरा करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण में शामिल हुए थे और अब प्रधानमंत्री मोदी मालदीव के राष्ट्रपति के मेहमान बनकर वहां पहुंच रहे हैं. वह 8 जून को मालदीव की संसद पीपुल्स मजलिस को भी संबोधित करेंगे.
नेबर हुड फर्स्ट यानि पड़ोसी पहले और सागर नीति, यानि क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति का अहम हिस्सा है और इसकी एक बानगी है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्राएं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल की शुरआत में सबसे पहले पड़ोसी देश मालदीव की यात्रा पर 8 जून को राजधानी माले पहुंचेगे.
प्रधानमंत्री मालदीव की संसद को संबोधित करेंगे. अपनी मालदीव की यात्रा के दौरान पीएम मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति रिमोर्ट के जरिए तटीय निगरानी तंत्र, मालदीव की सेना के लिए एकीकृत प्रशिक्षण केंद्र का शुभारंभ करेंगे. मालदीव में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए भारत एक क्रिकेट स्टेडियम का भी निर्माण करेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते होने की भी उम्मीद है. पीएम मोदी की यात्रा का मकसद साफ है कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ मधुर संबंधों को उच्चस्तरीय संपर्क स्थापित करने साथ ही मालदीव के विकास और अर्थव्यवस्था के पुर्नगठन में साझीदार बनना और दोनों देशों के नागरिकों के बीच परस्पर संबंधों को और मजबूत करने को प्राथमिकता देता है.
एशिया के सबसे छोटे देश लेकिन सामरिक दृष्टि से भारत के लिए महत्पूर्ण मालदीव में भारत कौशल विकास, पर्यटन, तकनीक और आधारभूत ढांचे को मज़बूत करने के लिए कई परियोजनाओं में मदद कर रहा है. दोनों देशों के बीच कई दशकों से आर्थिक, व्यापारिक और सामाजिक रिश्ते मज़बूत रहे है. प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि हिन्द महासागर में भारत के हितों की रक्षा के लिए मालदीव ने हमेशा प्रतिबद्धता दिखाई है. हाल ही में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मालदीव यात्रा के दौरान भारत ने 80 करोड़ डॉलर की वित्त सहायता मालदीव को दी थी. दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए समय समय पर मंत्री स्तरीय बैठकें भी होती हैं.
पीएममोदीकाश्रीलंकादौरा
मालदीव की यात्रा के बाद पीएम मोदी एक दिवसीय यात्रा पर श्रीलंका भी जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले विदेशी नेता है जो ईस्टर पर हुए हमले के बाद पहली बार श्रालंका पहुंच रहे हैं. 21 अप्रैल को श्रीलंका में हुए आतंकी हमले से पैदा हुए हालात के मद्देनज़र आतंकवाद पर यात्रा के दौरान एक अहम मुद्दा होगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह दौरा श्रीलंका सरकार को आतंक की त्रासदी से उबरने और किसी भी आपदा में कंधे से कंधे मिलाकर सहयोग की भावना को और मजबूती से स्थापित करेगा.
पीएम मोदी की श्रीलंका यात्रा का मकसद आने पांच वर्षों में आपसी विश्वास और संवेदनशीलता के आधार पर दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच विकास साझेदारी को बढ़ाने के तौर तरीके पर चर्चा होगी. दरअसल, लंबे समय से दोनों देशों के बीच गहरे और घने संबंध रहे हैं. मई 2017 में पीएम मोदी ने श्रीलंका यात्रा के दैरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय मूल के लोगों के लिए 14 हजार घरों का निर्माण की घोषणा की थी जिसमें से 2018 में 1500 घरों को सौंपा जा चुका है और बचे हुए घर अगले एक वर्ष में सौंप दिए जाएंगे. श्रीलंका में भारत सामुदायिक विकास परियोजनाओं के विकास के लिए विभिन्न चरणों में करीब 250 करोड़ रूपये खर्च करेगा.
श्रीलंका के राश्ट्रपति मौत्रीपाला सिरीसेना द्वारा आयोजित आधिकारिक भोज में शामिल होंगे और द्विपक्षीय मुद्दों पर विचार विमर्श करेंगें. प्रधानमंत्री की इस यात्रा से भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों के साथ ही आयात निर्यात बढ़ाने की कोशिशों को बल मिलेगा. श्रीलंका में होनेवाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारत का 16 फीसदी से अधिक हिस्सा है और दोनों देश अपने व्यापारिक संबंधों को और बढ़ाने पर विचार विमर्श कर रहे हैं. द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने और उन्हें बेहतर बनाने के लिए विचारों के आदान-प्रदान की दृष्टि से पीएम मोदी के इस दौरे को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अपने दूसरे कार्यकाल में सबसे पहले मालदीव और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों की प्रधानमंत्री की यात्रा नेबरहुड फर्स्ट- यानि पडोसी पहले और ‘सागर’- नीति काअहम हिस्सा है जो क्षेत्र के समग्र विकास और सुरक्षा की प्रतिबद्धता को पूरी दुनिया के सामने स्थापित करता है.
