शोधार्थियों व विद्यार्थियों से प्रशासन ने छीनी रोटी वर्धा. अकसर चर्चा के केंद्र में रहने वाले महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में कार्यकारी कुलपति प्रो. के. के. सिंह व कार्यकारी कुलसचिव प्रो. आनन्द पाटील विश्वविद्यालय को किस दिशा में लेकर जा रहे हैं यह यहाँ अध्ययन कर रहे शोधार्थी व विद्यार्थी बेहतर बताते हैं. बीते 02 दिसंबर को कार्यकारी कुलसचिव द्वारा जारी पत्र में दिनांक 03 सितंबर तक मेस में भोजन की व्यवस्था उपलब्ध रहेगी, इसके बाद मेस बंद रहेगी और यह कब तक बंद रहेगी इसका कोई पता नहीं है. ऐसे में भारत के सुदूर इलाके से आये विद्यार्थी और शोधार्थी भोजन के लिए कहाँ जायेंगे? इसका कोई पता नहीं है. विश्वविद्यालय के एक विद्यार्थी ने बताया कि इससे पूर्व में यदि ऐसे कोई मेस संचालक मेस छोड़कर चला जाता था तो विश्वविद्यालय के पास भी मेस कर्मचारी हैं जो पूर्व में भोजन बनाने का काम करते थे. वे लोग ऐसी स्थिति में भोजन पकाकर देते थे. लेकिन वर्तमान प्रशासन इस तरह के पत्र जारी कर तुगलकी फरमान जारी कर कहता है कि मेस संचालन निविदा प्रक्रियाधीन रहने तक मेस स्थगित रहेगी. यह बहुत ही शर्मनाक है. करोड़ों रूपये भारत सरकार ने विश्वविद्यालय को स्थापित करने से लेकर इसे संचालित करने में खर्च करती है. करोड़ों रूपये हर महीने शिक्षकों को सरकार सैलरी देती है कि शोधार्थियों व विद्यार्थियों का भविष्य बन सके. लेकिन विश्वविद्यालय किस दिशा में जा रहा है यहाँ के प्रशासन कोई खबर नहीं है और न ही मतलब है. छात्र ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय में कई ऐसे विभाग हैं जिनमें कोई विद्यार्थी नहीं है और शिक्षकों की कोई कमी नहीं है. इस विश्वविद्यालय पर शिक्षा मंत्रालय को संज्ञान लेने की आवश्यकता है जिससे की विश्वविद्यालय सुचारू रूप से चल सके.
