कितना आसान है, तथाकथित बुद्धिजीवियों के लिये गाय और गाय से जुड़ी हुई गुणवत्ता के उपर व्यंग्य कसना और उसका मज़ाक़ उड़ाना। पर क्या जब ये स्वघोषीत बुद्धिजीवी ‘गुणों से भरपूर गाय’ का मज़ाक़ उड़ाते है तो खुद के बुद्धिमत्ता का परिचय देते है या खुद के बुद्धिहीन होने का प्रदर्शन करते हैं? ये सोचने का विषय है।
हरियाणा के गुरुग्राम के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने सउदी अरब की एक साल की बच्ची का लिवर प्रत्यारोपण (transplant) किया, जिसमें एक गाय की गोजातीय नस का इस्तेमाल कर नए लिवर को रक्त संचार (blood circulation) प्रदान किया। डॉक्टरों का ये अथक प्रयास—जो कि अत्यंत दुर्लभ था—उस बच्ची के लिये किसी चमत्कार से कम नहीं था।
सउदी अरब की एक साल की हूर अपने जिगर की समस्या के कारण बहुत कमजोर थी। वो बिलीयरी अट्रेसिया (Biliary Atresia) से पीड़ित थी। सउदी अरब में भी हूर का ऑपरेशन हुआ था जो कि असफल रहा था। तभी वहाँ के डॉक्टरों ने हूर को भारत जाने की सलाह दिया। हूर जब गुरुग्राम पहूंची तो उसका वजन लगभग 5 किलोग्राम और 200 ग्राम था।
गुरुग्राम के आर्टेमिस अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार गिरिराज बोरा ने बताया कि इस तरह का प्रत्यारोपण (transplant) करना पड़ा क्योकि हूर की नस बहुत छोटी थी, और भारत में कैडेवर नस (cadaver vein) दान उपलब्ध नहीं है। डॉक्टरों ने बच्ची के परिवार को समझाया कि कैडेवर नस के अभाव की वजह से प्रत्यारोपण में पशु नस (bovine jugular vein) का इस्तेमाल किया जाऐगा। और इस तरह से डॉक्टरों ने बच्ची के माता पिता से उनकी सहमति ली। और पहली बार राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश (NCR) में एक शिशु में इस तरह का लिवर प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया गया।
डॉक्टरों के लिये ये किसी उपलब्धि से कम नहीं है क्योंकि यह दुनिया में पहला लिवर प्रत्यारोपण है जिसमें एक गाय की नसों को नए लिवर में रक्त संचारित करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। इन पशु नशों को विदेशों से मँगवाया गया था। हूर के पिता डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारियों का हृदय से धन्यवाद किया और कहाँ वे इस परिणाम से बेहद संतुष्ट और खुश हैं।
