लोकसभा में कल सदस्यों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार से एकीकृत कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट के लिए केवल किसानों को दोषी ठहराना सही नहीं है। अधिकांश सदस्यों ने कहा कि वाहनों, धूल-गर्द, निर्माण और उद्योग गतिविधियां तथा बिजली संयंत्र भी इसके लिए समान रूप से दोषी हैं। उन्होंने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र और राज्यों से ठोस उपायों की मांग करते हुए कहा कि केवल दिल्ली नहीं बल्कि अन्य शहरों पर भी प्रदूषण का असर पड़ रहा है।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा कि दिल्ली का प्रदूषण मुख्य रूप से धूल-गर्द और निर्माण गतिविधियों के कारण है। उन्होंने दिल्ली सरकार पर प्रदूषण की रोकथाम के लिए आवश्यक उपाय नहीं करने का आरोप लगाया।
भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने कहा कि गाजीपुर लैंडफिल प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है, केवल किसानों को दंडित करने से इस मुद्दे का समाधान नहीं होगा।
तृणमूल कांग्रेस की काकोली घोष दस्तीदार ने सुझाव दिया कि सरकार को स्वच्छ भारत की तर्ज पर स्वच्छ हवा अभियान शुरु करना चाहिए।
कांग्रेस के मनीष तिवारी और बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्र ने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण का कारण केवल पराली जलाना नहीं है इसलिए केवल किसानों को दोष नहीं दिया जाना चाहिए।
शिवसेना सांसद अरविंद गणपत सावंत ने कहा कि अन्य प्रदूषक तत्वों के अलावा इलेक्टॉनिक कचरा और लिथियम बैट्री भी हानिकर हैं।
डीएमके पार्टी की टी. सुमति ने सुझाव दिया कि केंद्र और राज्य सरकारों को प्रदूषण की समस्या को स्वास्थ्य आपातकाल मानते हुए इससे निपटने के समुचित उपाय करने चाहिए।
