भारत ने और अधिक देशों से अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने का आह्वान किया है। ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरूआत भारत ने की थी।
मैड्रिड में संयुक्त राष्ट्र जलवायु संधि में शामिल देशों के 25वें शिखर सम्मेलन के दौरान सौर ऊर्जा और विकासशील छोटे द्वीपीय राष्ट्र विषय पर मंत्रिस्तरीय बैठक के पूर्ण सत्र में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि चार वर्ष पहले पेरिस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का शुभारंभ किया था, तब यह एक नई शुरूआत थी। लेकिन अब चार वर्ष पुराना यह गठबंधन सौर ऊर्जा के भरपूर उपयोग की आवश्यकता को देखते हुए तेजी से विकसित हो रहा है।
श्री जावडेकर ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि केवल चार वर्ष में 83 से अधिक देश गठबंधन में शामिल हो चुके थे। उन्होंने कहा कि भारत ने बड़ी तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित की है। पांच वर्ष पहले केवल तीन गीगा वाट सौर ऊर्जा का उपयोग हो पाता था लेकिन 2020 तक भारत एक सौ गीगा वाट का लक्ष्य हासिल करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्षमता बढ़ने के कारण सौर ऊर्जा की कीमत तेजी से कम हुई है। पहले इसकी कीमत 20 रुपए प्रति यूनिट थी, अब केवल इसका दस प्रतिशत रह गई है। उन्होंने कहा कि सभी देशों को सौर ऊर्जा क्षमता बढाने की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संधि में शामिल देशों का 25वां शिखर सम्मेलन दो दिसम्बर को शुरू हुआ था।
भारत की पहल पर स्थापित अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में 121 देश शामिल हैं। इनमें से अधिकांश सूर्य की भरपूर रोशनी पाने वाले यानी पूरी तरह या आंशिक रूप से कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पड़ने वाले देश हैं।
