पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल शुक्रवार को चौथे दिन भी जारी रही, हड़ताल के कारण राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों तथा कई निजी अस्पतालों में नियमित सेवाएं प्रभावित रही। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा फिर से सेवा शुरू नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दिये जाने के बावजूद जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी है।
पश्चिम बंगाल में दो दर्जन से ज्यादा डॉक्टरों पर भीड़ के जानलेवा हमले और एक डॉक्टर का सर फोड़ने की वारदात के बाद जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल आज चौथे दिन भी जारी रही। डॉक्टरों का यह आंदोलन पश्चिम बंगाल की सीमाओं को लंघाते हुए देश के दस अन्य शहरों तक भी पहुंच गया है। दिल्ली में भी एम्स और सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टरों ने प्रदर्शन किया। ये मामला आज कोलकाता हाईकोर्ट भी पहुंच गया, लेकिन कोर्ट ने हड़ताली डॉक्टरों को कोई भी अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया और ममता बैनर्जी सरकार से कहा कि वह आंदोलनकारी डॉक्टरों से बात कर इस मसले का हल निकाले।
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल शुक्रवार को चौथे दिन भी जारी रही, हड़ताल के कारण राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों तथा कई निजी अस्पतालों में नियमित सेवाएं प्रभावित रही। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा फिर से सेवा शुरू नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दिये जाने के बावजूद जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी है।
इसबीच हडताल का ये मामला कोर्ट की दहलीज तक पहुंच गया लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों को हड़ताल खत्म करने के लिए अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है और पश्चिम बंगाल सरकार से कहा है कि डॉक्टरों को वापस काम पर आने के लिए मनाया जाये। बंगाल से शुरू हुआ इस बवाल की दस्तक अब दिल्ली में भी सुनाई देनी लगी है। बंगाल के जूनियर ड़ॉक्टरो के समर्थन में दिल्ली के एम्स और सफदरजंग के जूनियर ड़ॉक्टरों ने सांकेतिक हड़ताल के साथ ही प्रदर्शन किया और केन्द्रीय स्वास्थय मंत्री ड़ॉ. हर्षवर्धन से मुलाकात करके इस मसले में हस्तक्षेप की मांग की है।
दिल्ली के प्रदर्शनकारी ड़ॉक्टरों से मुलाकात के बाद स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बंगाल की मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होने ड़ॉक्टरो की सुरक्षा सुनिश्चिन करने के लिये ममता बनर्जी से अपील की है और लिखा है कि आप व्यक्तिगत तौर पर इस मामले को देख कर सुलझाए और ड़ॉक्टरों को प. बंगाल में सुरक्षित माहौल प्रदान करें। हालात सुधरने की बजाय खराब हो रहे है और विरोध प्रदर्शन बढ़ते जा रहे है। ड़ॉक्टरो के साथ सही से बातचीत करके मामले में उनकी बाजिव मांगे अगर मान ली जाये तो मामले को सुलझाने में सफलता मिल सकती है।
मामले को बढता देख इंडियन मेडिकल एसोसियेशन ने भी इस मामले में हस्तपक्षेप करने की मांग की है और कहा है कि ड़ाक्टरों की सुरक्षा को सरकार को प्राथमिकता देनी चाहियें। IMA ने कहा है कि 17 जून को देशभर के ड़ॉक्टर बंगाल की इस घटना के बाद हड़ताल पर रहेगें। आईएमए ने केन्द्र सरकार से सेन्ट्रल हास्पिटल प्रटेक्शन कानून की मांग की है।
इसबीच बंगाल के ड़ॉक्टरो के समर्थन में महाराष्ट्र में करीब 4500 रेजिडेंट डॉक्टरों ने शुक्रवार को एक दिन की हड़ताल की। हालांकि महाराष्ट्र में इस हड़ताल से आपातकालीन सेवाओं पर असर नही पडा। कई और राज्यों में भी डॉक्टर हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में रहे । गौरतलब है कि बंगाल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद जूनियर डॉक्टरों के दो सहयोगियों पर कथित रूप से हमला करने और उनके गंभीर रूप से घायल होने के बाद वे मंगलवार से सरकारी अस्पतालों में खुद की सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। जूनियर डॉक्टरों ने कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती तब तक प्रदर्शन जारी रखेगें।
