ऐसे वक्त में जब कई राज्यों में कुछ बीमारियों का संकट चुनौती बना हुआ है, ऐसे समय में नीति आयोग ने आज राज्यों का स्वास्थ्य सूचकांक जारी किया है, जिसमें सबसे निचले पायदान पर बिहार है तो सबसे ऊपर है केरल। सुकून की बात ये है कि 12 राज्यों के स्वास्थ्य पैमानों में सुधार आया है।
नीति आयोग ने मंगलवार को देश की व्यापक स्वास्थ्य सूचकांक रिपोर्ट जारी की। ये इस कडी की दूसरी रिपोर्ट है। ‘स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों में साल 2017 से 2018 में स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति और प्रगति के आकलन में केरल पहले नंबर पर है हलांकि प्रदर्शन में सालाना बढोतरी के मामले मे हरयाणा ने अच्छे प्रदर्शन के साथ पहला स्थान हासिल किया है। इसी तरह पिछली रिपोर्ट की तुलना में राजस्थान, झारखंड और असम ने प्रगति ने उन्हे शीर्ष पांच राज्यों की श्रेणी में ला दिया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर स्वास्थ्य पैमानों को और बेहतर करना चाहती है.
इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए राज्यों का मूल्याकन दो आधारो पर किया गया है-
-स्वास्थ्य क्षेत्र में समग्र प्रदर्शन: स्वास्थ्य क्षेत्र में किसी राज्य की वर्तमान स्थिति
-वार्षिक स्तर पर सर्वाधिक प्रगति: पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र में किसी राज्य की प्रगति की रफ्तार
ये रिपोर्ट राज्यों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक दूसरे से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करेगी। इस अवसर पर आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने कहा की ये स्वास्थ्य सूचकांक राज्यों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने की नई दिशा भी देंगें। नीति आयोग स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर 23 अलग-अलग पैमानों पर राज्यों का आंकलन करता है । छोटे राज्यों ने हेल्थ के मामले में रैंकिंग सुधारी है. मिज़ोरम सबसे आगे रहा. त्रिपुरा और मणिपुर ने भी रैंकिंग में सुधार किया है. रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और ओडिशा वे राज्य है जो स्वास्थ्य के मामले में बेहद खराब परफॉर्म कर रहे हैं।
बिहार 20वें और उत्तर प्रदेश सबसे नीचे 21वें पायदान पर है. स्वास्थ्य के क्षेत्र मे व्यापक तस्वीर जिसमें स्वास्थ्य से जुडे कार्यक्रमों के नतीजे, उसके क्रियांवयन और स्वास्थ्य के क्षेत्र की नीतियों और योजनाऔं के असर की व्यापक पडताल है। ये रिपोर्ट बताती है कि 12 राज्यों ने स्वास्थ्य पैमानों में पिछले आकंलन की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। इस सूचकांक की एहमियत इसलिए भी है क्योकि केंद्द इसी आधार पर राज्यों को विशेष अनुदान भी देगा।
