मोदी सरकार ने डीबीटी स्कीम यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए साल 2014 से अबतक साढ़े सात लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि आम लोगों के खातों में भेजी है। बिचौलियों के खात्मे और भ्रष्टाचार की लीकेज बंद होने से केंद्र से चला पूरा पैसा ग़रीबों और लाभार्थियों तक पहुंच रहा है। फिलहाल 55 मंत्रालयों की 439 योजनाएं डीबीटी के दायरे में है।
मजबूत इरादा, सशक्त रोडमैप और पारदर्शी शासन व्यवस्था हो तो नामुमकिन भी मुमकिन हो जाता है। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत खुले खातों में जमा राशि एक लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड को पार कर गई है तो अब मोदी सरकार की एक और अहम योजना डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफ़र यानी डीबीटी ने भी नया कीर्तिमान स्थापित किया है। शासन तंत्र से बिचौलियों को बाहर करने के मकसद से शुरू किए गए डीबीटी योजना के जरिए सीधे आम जनता को भेजी गई राशि भी साढ़े सात लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा हो गई है.
सब्सिडी का पैसा सीधे आम जनता के बैंक खाते में ट्रांसफर करने की कोशिशों का जोरदार असर दिख रहा है। मोदी सरकार ने डीबीटी स्कीम यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए साल 2014 से अबतक साढ़े सात लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि आम लोगों के खातों में भेजी है। डीबीटी मिशन के सरकारी पोर्टल के मुताबिक और ताज़ा आंकड़ों के लिहाज़ से अबतक 7,58,276 करोड़ रुपए डीबीटी के जरिए लोगों के बैंक खातों में डाले गए है।
डीबीटी को लेकर आए इस साल के आंकड़ें भी सरकार का उत्साह बढ़ाने वाले हैं। अकेले इस साल यानी वित्तीय वर्ष 2019-20 के पहले तीन महीनों में ही अबतक पचपन हज़ार करोड़ रुपए आम लोगों के खातों में पहुंची है। इतना ही नहीं इन पेमेंट्स के लिए 42 करोड़ से ज्यादा ट्रांजेक्शन भी हुए हैं।
बिचौलियेहुएदूर, सरकारकोहुईबचत–
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक बार कहा था कि दिल्ली से गरीबों के लिए चला एक रुपया उन तक पहुंचते-पहुंचते पंद्रह पैसा ही रह जाता है यानी 85 पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। पीएम मोदी इस सोच और कार्यसंस्कृति को बदलना चाहते थे। डीबीटी को आगे बढ़ाने के पीछे प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की यही सोच थी इसका असर भी दिखा- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफ़र के चलते सरकार ने अब तक (मार्च 2019 तक) 1,41,677 करोड़ रुपये बचाए हैं।पिछले वित्तीय वर्ष में ही अकेले 51 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा इस योजना के चलते बचे हैं।
डीबीटीयोजनाकेअन्यफायदे–
डीबीटी और आधार ने सिर्फ़ बिचौलियों और दलालों को ही रास्ता नहीं दिखाया है बल्कि इसके जरिए बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का भी खुलासा हुआ है.
– 4.23 करोड़ डुप्लीकेट और फर्जी गैस कनेक्शन (एलपीजी) को हटाया गया
– 2.98 करोड़ फर्जी राशन कार्ड का पता चला, जिन्हें निरस्त किया गया
– ग्रामीण विकास मंत्रालय के फील्ड सर्वे के मुताबिक मनरेगा में कम से कम 10 फीसदी राशि की बचत हुई
– वृद्धावस्था पेंशन जैसी सामाजिक योजनाओं में 4.77 लाख फर्जी मामलों का पता चला
– अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से मिलने वाली छात्रवृत्ति में 5.26 लाख फर्जी मामले सामने आए
– सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से जुड़े स्कीम में 1.91 लाख लाभार्थी ऐसे मिले, जिनका कोई वज़ूद ही नहीं था
– आंगनबाड़ी केंद्र के जरिए चल रहे कार्यक्रमों में 98.8 करोड़ फर्जी मामलों की जानकारी सामने आई
– खाद सब्सिडी में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया और करीब 121 लाख मेट्रिक टन खाद की बचत हुई
100 मेंसे 100 पैसापहुंचरहाहैगरीबोंतक
बिचौलियों के खात्मे और भ्रष्टाचार की लीकेज बंद होने से केंद्र से चला पूरा पैसा ग़रीबों और लाभार्थियों तक पहुंच रहा है। फिलहाल 55 मंत्रालयों की 439 योजनाएं डीबीटी के दायरे में है। डीबीटी और सब्सिडी का पैसा गलत हाथों में जाने से रुकने से ना सिर्फ एक ईमानदार व्यवस्था को प्रोत्साहन मिला है बल्कि एक पारदर्शी और गरीब हितैषी कार्य संस्कृति को भी मजबूती मिली है.
