जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले सत्र में डिजिटल अर्थव्यवस्था पर खूब चर्चा हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नए भारत की संकल्पना में भी डिजिटल अर्थव्यवस्था खास स्थान रखता है और इसे एक नई संपदा के रूप में माना जाता है। चीन, जापान और विश्व व्यापार संगठन जैसी वैश्विक संस्थाओं ने जहां इस मुद्दे की ज़ोरदार वकालत की वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कुछ आशंकाओं का भी ज़िक्र किया।
जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले सत्र में डिजिटल अर्थव्यवस्था चर्चा के केन्द्र में थी। ज्यादातर नेताओं ने डिजिटल व्यापार के विस्तार, खुले बाज़ार, डेटा के मुक्त प्रवाह का समर्थन किया। जी-20 शिखर सम्मलेन को संबोधित करते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने निष्पक्ष, न्यायपूर्ण और गैर-भेदभावपूर्ण बाजार की स्थापना का आह्वान किया। उन्होंने कहा अधिकांश बड़े देश अपने बाज़ार को खलना चाहते है। मानव सभ्यता के लिए इसे ज़रूरी बताते हुए जापान के पीएम शिंज़ो आबे ने भी डिजिटल व्यापार के विस्तार का पुरज़ोर ढंग से समर्थन किया। वहीं अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सुरक्षा आशंकाओं के मद्देनज़र डिजिटल नवाचार पर ज़ोर देते हुए कहा कि हमें 5 जी नेटवर्क की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नए भारत की संकल्पना में भी डिजिटल अर्थव्यवस्था खास स्थान रखता है और इसे उन्हों ने नई संपदा कहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामाजिक लाभ के लिए डिजिटल तकनीक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 5 आई का अनोखा फार्मूला पेश किया। ये 5 आई हैं.. समावेशिता, स्वदेशीकरण, नवाचार, अवसंरचना में निवेश और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग। धन का नए रूप लेने पर भारत विकास के लिए डेटा की भूमिका का भी समर्थन करता है। प्रधानमंत्री मोदी का प्रमुख डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इसका एक उदाहरण है। भारत का मानना है कि डेटा का विश्लेषण- विश्व व्यापार संगठन के संदर्भों में ही की जानी चाहिए।
जी 20 के पहले सत्र का थीम था ‘ भविष्य का मानव केंद्रित समाज’। सदस्य देशों ने डेटा बाधा रहित डेटा प्रवाह, डिजिटल सुरक्षा, वैश्विक विकास के लिए डिजिटल व्यापार के विस्तार पर ज़ोर दिया।
