जब तमिलनाडु के प्रसिद्ध पत्रकार और चार्टर्ड अकाउंटेंट, श्री स्वामिनाथन गुरुमूर्ति ने जवाहर लाल नेहरू विश्विधालय का झकझोर देने वाला सच बताया तो ऐसा महसूस हुआ जैसे वो भारत के हर ज़िम्मेदार नागरिक के हृदय की बात बोल रहे हैं। शब्दों को हेर फेर किये बिना अपने बेबाक़ अंदाज में गुरुमूर्ति ने कहा, “जवाहर लाल नेहरू विश्विधालय का जन्म भारत गणराज्य का विरोध करने के लिये ही हुआ था, इसका सुधार किया जाना चाहिये या इसको बंद कर देना चाहिये।इसकी स्थापना भारत देश के भव्य पूर्वज, महान परंपराऐं, अति उत्तम आध्यात्मिकता और जीवन उपयोगी मूल्यों का विरोध करने के लिये ही हुआ था।”
सन 1969 में जब कांग्रेस पार्टी विभाजित हुई और बदकिस्मिती से कम्युनिस्ट पार्टी ने इंदिरा गांधी का समर्थन किया, तो कम्युनिस्ट पार्टी ने इंदिरा गांधी से समर्थन के बदले सिर्फ एक शर्त रखी कि आप हमें सिर्फ शिक्षा विभाग दे दें। उसके बाद सुनियोजित तरीक़े से भारत की शिक्षा प्रणाली को प्रदूषित किया गया, जिसकी श्रेय नूर हासन—जो शिक्षा मंत्री बने—को जाता है। जेएनयू की स्थापना के पीछे नूर हासन का ही दिमाग़ था कि इसको प्रदूषित करने के बाद, कैसे इसको मुख्य विचारधाराओं में शामिल किया जाना चाहिए।
तमिल भाषा की साप्ताहिक समाचार पत्रिका के संपादक, स्वामिनाथन गुरुमूर्ति ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि जेएनयू “सरकार और देश के खिलाफ” हो गया हो। 1982 की घटनाओं को याद करते हुऐ उन्होंने कहा कि 1982 में भी जेएनयू कांग्रेस पार्टी और देश के ख़िलाफ़ हो गया था। उस समय भी छात्रों ने विश्वविद्यालय के अंदर तोड़ फोड़ और हिंसा किया था तो पुलिस को संस्थान के अंदर भेजा गया था। विश्वविद्यालय को 43 दिनों के लिए बंद कर दिया गया था। इसलिए भारत का नागरिक ये जानता है कि जेएनयू का डीएनए ही इस देश के खिलाफ है।
जेएनयू के वर्तमान संकट का समाधान यही है कि इसको सुधारने की जरूरत है और अगर ये संभव नहीं है तो इसे बंद कर दिया जाना चाहिए। उस कार्यक्रम मे दिग्गज अभिनेता रजनीकांत भी मौजूद थे। रजनीकांत ने तुगलक मैगजीन की प्रसंशा करते हुए कहा कि अगर आप किसी के हाथ में मुरासोली मैगजीन देखें तो इसका मतलब है उसका संबंध डीएमके पार्टी से है और अगर किसी के पास तुगलक मैगजीन देखें तो आप कह सकते हैं कि वह प्रतिभाशाली व्यक्ति है।
