“विश्वं पुष्टे ग्रामे अस्मिन अनातुरम्” – (वेद सूक्त)
महात्मा गाँधी जी की जयंती 2 अक्टूबर की पूर्व संध्या पर जारी अपने सन्देश में प्रधानमंत्री जी ने ‘सक्षम पंचायत विकसित भारत’ का आह्वान करते हुए गाँवों और पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु जन अभियान पहल ‘सबकी योजना सबका विकास’ की विशेष चर्चा की। गौरतलब है कि ग्रामोत्थान और सबल पंचायत के निर्माण में स्थानीय लोगों की भागीदारी ही सबसे मुख्य भूमिका निभा सकती है; और इसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री जी ने यह सन्देश पत्र विशेष रूप से ग्रामीण साथियों के नाम ही जारी किया है। इस अवसर पर अपने पत्र में उन्होंने खास तौर पर सुप्रसिद्ध वेद मंत्र ‘विश्वं पुष्टे ग्रामे अस्मिन अनातुरम्’ का जिक्र करते हुए विश्व की तरह ही ग्राम को भी एक परिपूर्ण इकाई के बतौर विकसित करने पर बल दिया और समुचित ग्रामोत्थान हेतु केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय को राज्यों के साथ मिलकर, पूर्ण समन्वय भाव से विकास कार्यों को गति प्रदान करने का आह्वान किया। अभी चंद दिनों पहले ही इस कड़ी में केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने ‘पंचायत सशक्तिकरण की कवायदों के मद्देनजर’ जिन राज्यों की पहलों का विशेष जिक्र किया, उनमें आंध्र प्रदेश सरकार के अभिनव पहलों की चर्चा वर्णमाला की प्रथम कतार में उनके नाम की तरह ही अग्रगण्य रही है। एनडीए नीत आंध्र प्रदेश राज्य सरकार के पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय की अभिनव पहलों ने ग्राम स्वराज की वास्तविक स्थापना और आत्मनिर्भर पंचायतों की संकल्पना को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए ‘सक्षम पंचायत विकसित भारत’ की अवधारणा को महत्वपूर्ण गति प्रदान करने की सार्थक कोशिश की है। दरअसल, अखिल भारतीय स्तर पर ‘सक्षम पंचायत विकसित भारत’ की संकल्पना पर कार्य करते हुए आंध्र प्रदेश में इस मुहीम की शुरुआत इसी वर्ष के अगस्त माह में ‘स्वर्ण ग्राम पंचायत’ अभियान के शुभारम्भ से देखी जा सकती है। इस अभियान के अंतर्गत एक साथ आंध्र प्रदेश के लगभग 13,326 पंचायतों में एक दिन में एक साथ रिकॉर्ड स्तर पर ग्राम सभाओं का आयोजन कर कीर्तिमान रचते हुए ग्राम्य सशक्तिकरण के सन्दर्भ में एक अनूठा संदेश देने का प्रयत्न किया गया था। इस दौरान प्रदेश भर में 4,500 करोड़ रुपये से किए जाने वाले विकास कार्यों के माध्यम से जरूरतमंद परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने, और करीब 8 लाख व्यक्तियों के लिए कार्य-दिवस उपलब्ध कराने, आदि से सम्बंधित कई प्रस्ताव पारित किये गए थे। इस दौरान, पिछले तीन दशकों से आंध्र प्रदेश में छोटी और बड़ी पंचायतों को स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस समारोह के आयोजन के लिए क्रमशः केवल सौ रूपये अथवा ढाई सौ रूपये की नाममात्र राशि प्रदान किए जाने की व्यवस्था को सकारात्मक रूप से बदलते हुए यह राशि क्रमशः दस हज़ार तथा पच्चीस हज़ार रूपये कर दी गई थी। सूबे के प्रत्येक पंचायतों में ग्राम सभाओं के नियमित आयोजन पर विशेष बल देते हुए इस निमित्त सहायता राशि आवंटित किए जाने की भी आवश्यक व्यवस्था की गई थी। अब इस अभूतपूर्व पहल की अगली कड़ी में, पंचायत राज एवं विकास विभाग, आंध्र प्रदेश सरकार के कुशल मार्गदर्शन में विगत 23 अगस्त, 2024 को राज्य भर में आयोजित ग्राम सभाओं में पारित प्रस्तावों के अनुरूप, आंध्र प्रदेश सरकार ‘पल्ले पंडुगा’ कार्यक्रम के तहत 14 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक विकास गतिविधियों की चरणबद्ध शुरुआत कर रही है। इस दौरान पंचायत स्तरों पर या समेकित रूप से गाँवों में ‘सिटीजन नॉलेज बोर्ड’ लगाकर नागरिकों के लिए समस्त ग्राम्य सूचनाओं के प्रस्तुतीकरण की व्यवस्था निर्मित करते हुए शासन की जवाबदेही तय की जाएगी। जन मुद्दों के निराकरण पर विशेष ध्यान देते हुए, कामगारों के अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। दैनिक स्तर पर विभिन्न प्रकार के दिहाड़ी रोजगारों का सृजन किया जायेगा जिनमें कृषि-संबंधी कार्य, जल संरक्षण संबंधी कार्य, आधारभूत ग्राम्य संरचना विकास संबंधी कार्य, व्यक्तिगत स्तर के उत्पाद कार्य, बागवानी, फलदार वृक्षारोपण, ग्रामोद्योग आदि सम्मिलित हैं। इन सबके साथ सामाजिक अंकेक्षण एवं निरीक्षण पर विशेष बल दिया जाएगा ताकि ग्राम्य जनों के समक्ष पूरी पारदर्शिता बरती जा सके और सही मायने में स्थानीय स्व-शासन तथा उनमें निहित जन भागीदारी को अर्थपूर्ण मायने प्रदान किया जा सके।आंध्र प्रदेश सरकार की बहुचर्चित, बहुप्रशंसनीय, बहुआयामी ‘स्वर्ण ग्राम पंचायत’, ‘पल्ले पंडुगा’ जैसी इन मुहीमों से ग्राम स्वराज की भावना को जमीनी स्तर पर पुनर्जीवित करने और स्थानीय स्वशासन की सबलता से पूरे राज्य में ग्राम विकास को सशक्त बनाने के प्रति उसकी प्रतिबद्धता निस्संदेह जाहिर होती है। 14 अक्टूबर को बहुउद्देशीय सात दिवसीय पंचायत उत्सव कार्यक्रम ‘पल्ले पंडुगा’ के शुभारंभ की घोषणा करते हुए आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सह पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री पवन कल्याण ने बताया कि, ‘यह पहल ₹4,500 करोड़ मूल्य की 30,000 विकास परियोजनाओं की नींव रखेगी और मनरेगा के माध्यम से 8 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेगी।’ उन्होंने उम्मीद जताया कि यह मुहीम आंध्र प्रदेश में ग्रामीण बुनियादी ढांचे के प्रसार, जल आपूर्ति व स्वच्छता में सुधार तथा आजीविका के नवीन अवसरों को बढ़ावा देने में परिवर्तनकारी भूमिका निभाएगी।ध्यातव्य है कि ‘पल्ले पंडुगा’ मूल रूप से तेलुगु भाषा का शब्द है जिसका अभिप्राय ‘ग्रामोत्सव’ या ‘गाँवों के उत्सव’ से है। आंध्र प्रदेश सरकार ‘ग्राम सभाओं के नियमित आयोजनों’ एवं स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों तथा जन भागीदारी द्वारा इनके माध्यम से पारित प्रस्तावों का क्रियान्वयन सुनश्चित करते हुए दार्शनिक अंदाज़ में इसे ग्रामोत्सव की संज्ञा देते हुए पूरी प्रक्रिया की दुरुहता को दूर करते हुए इसके उत्सवधर्मिता और फलागम का मार्ग प्रशस्त कर रही है। यह पहल सराहनीय अवश्य है; साथ ही अनुकरणीय भी है और इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि विकसित भारत के संकल्प-पथ की यात्रा को इन्हीं पहलों के माध्यम से 2047 तक पूर्ण किया जा सकता है!
Article by:
डॉ. अभिषेक सौरभ
(अतिथि शिक्षक, एनसीवेब केंद्र, श्री अरविन्द महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय)
(स्वतंत्र समीक्षक, राजनीतिक विश्लेषक, टिप्पणीकार)
Dr. Abhishek Saurabh
(A BHU-JNU Alumnus;
Guest Faculty, NCWEB Centre, Sri Aurobindo College, University of Delhi, New Delhi)
(Independent Critic, Political Analyst, Columnist; Email- [email protected] ; Mo. 7011091782)

