ज़रा एक ऐसे स्थिति की कल्पना करिये जिसमे एक देश की 20% आबादी बाकी के 80% को आर्थिक रूप से बहिस्कार कर दे।
इतना ही नहीं वो 20% देश के संविधान कानून को भी चुनोती देने लगे।
ठीक यही स्थिति शाहीन बाग़ में हो रही है।अगर आप सोच रहे है कि ये केवल कोरी कल्पना है तो आप तैयार हो जाइये आर्थिक जिहाद का हकीकत में सामना करने।
आर्थिक जिहाद के दो स्वरुप आपको बताते है।
उत्तरप्रदेश का कैराना जिला इसका सबसे बड़ा उदहारण है।कैराना मे केवल गुंडागर्दी और अपराध के डर से ही हिंदुओं का पलायन नही हुआ बल्कि उनका आर्थिक बहिस्कार भी हुआ।
हिन्दू व्यापारी और मजदूरों को काम मिलना बंद होगया और भय का माहौल बनाया गया।
ऐसे हालात मे अपनी जान बचाने और एक सुरक्षित और बेहतर ज़िंदगी जीने के लिए हिंदू पलायन हुआ।
अगर आप ऐसी जगह को नहीं त्यागेंगे तो आप को मजबूर किया जायेगा धर्म परिवर्तन के लिए।
यदि आप धर्म परिवर्तन नहीं करते तो आपको वहां के बहुसंख्यक( जो की मुस्लिम है) उनके हर बात पर हां करना होगा।
इसका दूसरा स्वरुप पिछले रमज़ान मे मुम्बई मे देखने मिला जब एक टीवी चैनल में ये खबर आई की मुस्लिम अबादी को लोकल मस्जिदों द्वारा वाट्सअप सन्देश दिया गया है कि वे कोई भी सामान केवल अपने मज़हब के लोगो से ख़रीदे और हिंदुओं का बहिष्कार करे। इस बात की पुष्टि वहाँ के हिन्दू व्यापारियों ने भी किया और बताया कि किस तरह उनके यहाँ इस रमजान बिक्री की भारी कमी हुई है।
मुसलमानो को ये ताक़त मिलती है उनकी कौमी एकता सेl
जब अमेरिका ने ईरान पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगाया तो ईरान उससे कैसे उबरा?
इस बात का जवाब देते हुए एक इस्लामिक स्कॉलर ने इसी कौमी एकता का ज़िक्र किया।
शैख़ ज़ाहिद इस्लामी ने बताया कि हम 10% कमाई का हिस्सा ज़कात देते है ,ताकि वो गरीब लोगो के काम आए।
इस तरह से समाज मे आर्थिक समानता बने रहती हे।
मुस्लिम चाहे वो शिया सुन्नी बोरी वहाबी अहमदिया या किसी अन्य वर्ग में बटा हुआ हो लेकिन जब इस्लाम पे खतरा आता है तो एक हो जाता है।
यही कारण है की जब मुस्लिम समाज को लगता है कि कोई कानून या विचारधारा उसके क़ुरानी तालीम के विपरीत बात कर रही है तो वो एक हो जाते है।
आज सीऐऐ और NRC के विरोध में कुछ यही काम मुस्लिम समाज कर रहा है।
जब उमर खालिद कहते है कि हम देश के हर एक शहर मे शाहीन बाग़ करेंगे।
जब शरजील इमाम देश पूर्व उत्तर राज्यो को अलग करने की बात करते हे तो समझ लीजिये इस्लामिक जिहाद ने अब दस्तक दी है।
जाग जाइये क्योंकि देश के टुकड़े होने की बात हो रही हे।
आप के बहु बेटियो की इज़्ज़त खतरे में है।
कश्मीरी हिंदुओ की तरह आपके इलाके के मस्जिदों से नारे लगेंगे की या तो इस्लाम कबूलो या मर जाओ।
क्योंकि आज आपके शहर में उमर खालिद ,शरजील इमाम और गद्दार कन्हैया कुमार और भानुप्रताप जैसे हिन्दू पैदा हो गए हे जो खुले आम उत्पात मचा रहे हैं।
पहले ये आपको डराएंगे फिर आपका आर्थिक बहिष्कार करेंगे ताकि आप इनकी मांग मानने पर मजबूर हो जाओ।
अब हिंदुओं के लिए ज़रूरी है कि ना केवल सड़क से सांसद तक एक दूसरे का साथ दे अपितु आर्थिक तौर पे भी समाज के निचले स्तर को साथ मे लेकर चले। अगर वो 20% हो कर इतना मजबूत इरादा रख सकते हे तो हम अगर एक जूट हो जाये तो ये आर्थिक जिहाद और आतंकवाद की कमर तोड़ सकते हे।
