केंद्र सरकार ने आतंकवाद पर दोहरा हमला बोला है. आतंकी गतिविधियों पर लगाम और आतंकवादियों की जांच के लिए सोमवार को लोकसभा में दो अहम विधेयक पेश किए गए. गृह मंत्रालय की ओर से पेश किए गए इन विधेयकों में से एक एनआईए कानून में संशोधन से जुड़ा है तो दूसरे विधेयक के जरिए गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव है.
यूएपीए के अनुच्छेद-4 में संशोधन से एनआईए को उन संदिग्ध आतंकियों के खिलाफ भी सीधी कार्रवाई करने का अधिकार मिल जाएगा, जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं. गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून में प्रस्तावित संशोधन से सरकार आतंकवाद से जुड़े लोगों यानि लश्कर-ए-तैयबा सरगना हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर जैसे लोगों को भी आतंकी घोषित कर पाएगी. मौजूदा कानून के मुताबिक अभी केवल संगठनों को ‘आतंकी संगठन’ घोषित किया जा सकता था.
इसके साथ ही एनआईए के डीजी को भी ताकतवर बनाया जा रहा है. जिन मामलों की जांच हो रही है, डीजी के आदेश से आतंकवादियों और अपराधियों की संपत्ति भी ज़ब्त की जा सकेगी.
एनआईए कानून में संशोधन से एजेंसी को साइबर अपराधों और मानव तस्करी से जुड़े मामलों की जांच की भी अनुमति मिल जाएगी. इसके साथ ही अगर विदेशी ज़मीन पर भारतीय हितों या नागरिकों को नुकसान पहुंचता है तो प्रावधान ये भी किया जा रहा है कि एजेंसी उन मामलों की भी जांच कर सकेगी. इसके जरिए केंद्र यानि गृह मंत्रालय ना सिर्फ़ राष्ट्रीय जांच एजेंसी को विदेश में हुई घटनाओं को लेकर केस दर्ज़ करने की अनुमति दे सकेगा बल्कि इसकी जांच के लिए एनआईए अपने अधिकारियों को बाहर भी भेज सकेगा. इन संशोधनों का मकसद ये है कि विदेशों में हुई घटनाओं की भी जांच तेज़ी से हो और देश के अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाया जा सके.
सरकार के मुताबिक फिलहाल आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच में एनआईए को कई कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा था. नए संशोधन न सिर्फ़ एनआईए को और ताकतवर बनाएंगे बल्कि इन कानूनों को अंतरराष्ट्रीय संधियों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मुताबिक सशक्त भी बनाया जा सकेगा.
