राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को मुंबई के एक व्यापारी को दोषी ठहराया, जिसने 30 अक्टूबर, 2017 को मुंबई-दिल्ली बाध्य जेट एयरवेज की फ्लाइट को हाईजैक करने की धमकी दी थी। यह एंटी-हाईजैकिंग के कानून तहत सुनाई गई पहली सजा है।
बिजनेसमैन बिरजू सल्ला पर विमान के टॉयलेट के टिशू पेपर बॉक्स में अंग्रेजी और उर्दू में लिखे एक धमकी भरे नोट को लगाकर अपहरण का डर पैदा करने का आरोप लगाया गया था।
विमान में 116 यात्री, सात चालक दल के सदस्य और दो पायलट सवार थे जब सल्ला ने कथित तौर पर नोट लगाया।
एनआईए के विशेष अदालत के न्यायाधीश एम के दवे ने बिरजू सल्ला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने उस पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया। सल्ला को पायलट और सह-पायलट को एक-एक लाख रुपये, प्रत्येक एयर-होस्टेस को 50,000 रुपये और सभी यात्रियों को 25,000 रुपये का मुआवजा देना होगा|
एनआईए ने 22 जनवरी, 2018 को 38 वर्षीय मुंबई व्यवसायी के खिलाफ एंटी हाइजैकिंग एक्ट के तहत आरोप पत्र दायर किया था।
2016 में एंटी-हाइजैकिंग एक्ट में बदलाव किए गए जिसके तहत “अपहरण” की धमकी देने का कार्य एक गंभीर अपराध बन गया, जो एक जीवन अवधि को आकर्षित कर सकता है। सल्ला पर एंटी हाइजैकिंग एक्ट, 2016 की धारा 3 (1), 3 (2) और 4 (बी) के तहत आरोप लगाए गए थे।
एजेंसियों को जांच के दौरान पता चला कि, सालाह ने उर्दू और अंग्रेजी में ‘धमकी नोट’ तैयार किया है और जानबूझकर इसे जेट एयरवेज की फ्लाइट # 9W339 के बिजनेस क्लास के पास टॉयलेट के टिशू पेपर बॉक्स में रखा है। एनआईए ने अपनी चार्जशीट में दावा किया, कि सल्ला ने एयरलाइन को बदनाम करने की नीयत से उसने ऐसा किया, ताकि वह अपना परिचालन बंद कर दे| उसका इरादा अपनी महिला मित्र को सबक सिखाना था जो जेट एयरवेज के लिए काम कर रही थी।
