सन 1999 में, बाॅलिवुड के अभिनेता, नसीरूद्दीन शाह ने फ़िल्म ‘सरफ़रोश’ में एक ग़ज़ल गायक, गुलफाम हसन—जो की वास्तव मे एक पाकिस्तानी आतंकवादी होता है—की भूमिका निभाई थी। भारत के आम नागरिकों ने उनके अभिनय की बहुत तारिफ़ थी। लेकिन विगत कुछ वर्षों से अगर नसीरुद्दीन शाह की भूमिका असली ज़िंदगी में देखा जाऐ तो उनके अभिनय की तारिफ़ करने वाले वहीं आम नागरिक आज ये पूछने पर बाध्य हो रहे हैं—नसीरूद्दीन शाह का असली चरित्र कौन सा है: समां बांधने वाला एक ग़ज़ल गायक या इस ग़ज़ल गायक के चेहरे के पीछे छुपा हुआ आतंकवाद की जड़ों में पानी डालनेवाला बौद्धिक आतंकवाद?
भारत का कौन सा ऐसा नागरिक होगा जो कश्मीरी हिंदुओं के भयावह नरसंहार से विचलित नहीं हुआ हो। लेकिन नसीरुद्दीन शाह को इस अमानवीय नरसंहार में भी व्यंग्य नज़र आता है। अनुपम खेर जो कश्मीरी हिंदु के नरसंहार के विरुद्ध हर मंच पर अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे थे, उन पर कटाक्ष करते हुऐ शाह ने कहा—एक व्यक्ति ने कश्मीरी हिंदुओं के हक़ के लिये लड़ाई शुरू कर दी है, जो कभी कश्मीर में रहा ही नही। नसीरुद्दीन शाह जी, कश्मीर में हुए इस नरसंहार पर उपहास क्यो? कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार विरुद्ध आवाज़ उठाने के लिये कश्मीरी होना ज़रूरी है?

विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के विरुद्ध और उनके हक़ के लिये आवाज़ बुलंद करने के बाद
जब अनुपम खेर ने नागरिकता संशोधन क़ानून(CAA) का समर्थन किया तो जैसे नसीरूद्दीन शाह के सब्र का बांध टूट गया: “अनुपम खेर बहुत ज़्यादा बोलते हैं। अगर आप उनके NSD, NFTII के दोस्तों से पुछे तो सब यही बताऐगें कि वह एक मानसिक रोगी है। ये उसके वश के बाहर है क्योंकि यह रोग उसके खून में हैं” कुछ इस तरह से शाह के मुख से अनुपम खेर के लिये ज़हरीले शब्दों के वाण चलने लगे।
निष्कर्ष ये है कि, शाह के हिसाब से, भारत के वो सारे नागरिक जो CAA का समर्थन कर रहें हैं, विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के अमानवीय नरसंहार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं वो सब के सब मानसिक रोगी हैं। नसीरुद्दीन शाह के विचारों से जो भी सहमत नहीं होता वो सब के सब मनोरोगी है।
नसीरुद्दीन शाह जी, जब आपने, मुंबई में 250 से अधिक निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारने वाले आतंकवादी याकूब मेमन, के लिए दया याचिका पर हस्ताक्षर किया था तब आपको कौन सा मानसिक रोग था? क्या आपने याकूब मेमन के खून की जांच की थी, जिसने निर्दोष लोगों का नरसंहार किया था? लेकिन आपके अनुसार जो कश्मीर में हुऐ हिंदु नरसंहार के विरुद्ध जो आवाज़ उठाऐ, उसके खुन की जाँच होनी चाहिये?
नसीरुद्दीन शाह जी, एक तरफ जहां आपको भारत में अपने बच्चों के भविष्य की चिंता हो रही थी, वहीं दूसरी तरफ आपने अनुपम खेर का मजाक उड़ाया, जिन्होंने कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के खिलाफ आवाज उठाई थी। ये किस तरह का मानसिक रोग था जो नरसंहार पर व्यंग्य कसता है? क्या आपने कभी अपने इस्लामी भाइयों की निंदा की जिन्होंने कश्मीर में सामूहिक कत्लेआम किया था?
क्या नसीरुद्दीन शाह जिहाद और आतंकवाद का वो “समर्थन तंत्र” है जिसने खुद को एक बॉलीवुड अभिनेता के रूप में छुपा कर रखा है, और जो धाराप्रवाह अंग्रेजी भी बोलता है? क्योंकि भारत की आम जनता ये देख रही है कि नसीरुद्दीन शाह के आवरण के अंदर छुपा हुआ ‘गुलफाम हसन’ याकूब मेमन जैसे आतंकवादी के प्रति सहानुभूति रखता है, जो टुकड़े टुकड़े गैंग का समर्थन करने वाली दीपिका पादुकोण को क्रांतिकारी बताता है, जो चिल्लाकर कहता है, भारत उसके बच्चों के लिये सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन वही नसीरुद्दीन शाह कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के विरुद्ध उठने वाली आवाज़ और CAA के समर्थन में उठने वाली आवाज़ को मानसिक रोगी कहता है।
