पिछले दिनों जब CAA और NRC के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग़ मे नारे लग रहे थे तब उसमें ये महाशय की बात पे ध्यान जरूर दे|
ये है जाने माने अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह , ये हिन्दुओ द्वारा बेचे जाने वाले वस्तुओ का बहिष्कार करने की बात कर रहे है।केवल बहिष्कार ही नहीं इनका मानना है कि राम देव और अम्बानी जैसे हिन्दू व्यापारी आरएसएस को फण्ड कर रहे है और इसलिए हिन्दू समाज का आर्थिक बहिष्कार कर देना चाहिये।
आपको लगेगा ये पागल है और भीड़ को देख कर जोश मै आगया होगा, परंतु ऐसा सोचना आपकी भूल होगी या फिर आपने इस्लामिक जिहाद के नए अध्याय के बारे मैं नहीं सूना होगा।
आर्थिक जिहाद
और आर्थिक आतंकवाद|
क्या है ये आर्थिक आतंकवाद और आर्थिक जिहाद?
कैसे ये दोनों बात एक दूसरे से जुड़े हुऐं है।
कैसे भारत को इससे खतरा है?
आइये हम आपको ये समझाते है और शुरुआत करते है आर्थिक आतंकवाद से।
भारत ने आतंकवाद का भयानक चेहरा 12मार्च 1993 के काले शुक्रवार को देखा।1993 से 2014 के पहले तक भारत के कई बड़े शहरों मै बम धमाके और 26/11 की तरह हमले हुए।
इन हमलो मै निशाना व्यपारिक संस्थान या पर्यटन के स्थल रहे।
इनका लक्ष्य बिल्कुल साफ है,चाहे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज हो ज़वेरी मारकेट या ताज ,ओबेरॉय होटल ,भारत की आर्थिक कमर तोड़ना।
केवल भारत ही नहीं दुनिया ने 9/11 को इस आर्थिक आर्थिक आतंकवाद का भयानक मंजर तब देखा जब अमरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पे विमान भेदी हमला हुआ। ये हमला भी अमरीका के कमर तोड़ने के लिए किया गया।
आतंकवादी संगठन के प्रमुख ओसामा बिन लादेन ने 1997 से 2007 मैं कई पत्रकारों द्वारा और वीडियो रिलीज़ कर के ये बात स्पष्ठ की थी की उनका लक्ष्य अमेरिका का प्रभुत्व ख़त्म करना जिसके लिए उनका आर्थिक कमर तोडना होगा।
लादेन ने रूस अफ़ग़ान लड़ाई मैं अफ़ग़ान लड़ाकों की तरफ से हिस्सा लिया।
लादेन ने देखा था कि किस तरह रूस अफ़ग़ान वॉर मे फस गया और उसके बाद रूस के टुकड़े होगए।
अमेरिकी रक्षा विशेषयज्ञयों की माने तो लादेन के मरने के बाद भी अल कायदा, आईएसआईएस और अन्य आतंकी संगठन ने इसी प्रकार छोटे और बड़े हमले को अंजाम दे कर अमेरिका को संकट मे डाल रखा है।
देखने मै तो लगेगा कि अमेरिका अफ़ग़ान इराक और अन्य देशो मै प्रभुत्व फैला रहा है,परंतु असल मै उसे इस लड़ाई को लंबा खीच कर उसकी आर्थिक कमर तोड़ने की रणनिति है।
अब आप सोचेंगे कि इससे भारत को क्या लेना देना?
तो अब आप आजके भारत के स्थिति देखिये और हाल ही मै दिए हुए जेनयू छात्र उमर खालिद का बयान सुनिये
हम देश मई में 100 से ज़्यादा शाहीन बाग बनाएंगे
बस यही बात है जो आर्थिक आतंकवाद और आर्थिक जिहाद के कड़ी को जोड़ती है।
किस तरह आर्थिक आतंकवाद ने भारत मई में अब आर्थिक जिहाद और आर्थिक नक्सलवाद का रूप लिया है?
किस तरह आप इसके सामने घुटने टेकने पर मजबूर होजाएंगे
और कैसे इन् सब प्लान की ब्लू प्रिंट तैयार है।
इन सब विषय पर पूरी जानकारी आपको आर्टिकल के अगले और शेष भाग मै बताया जायेगा।
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